विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सरकार वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि सरकार ने तालिबान को लेकर 'देखो और प्रतीक्षा करो' का रुख अपनाया है जो आगे की स्थिति पर निर्भर करेगा। सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को भारत द्वारा एहतियात के तौर पर उठाए गए कदमों की जानकारी दी जिसमें पिछले वर्ष हेरात और जलालाबाद में वाणिज्य दूतावास से अस्थायी तौर पर भारतीय कर्मियों को निकालने और इस वर्ष जून में काबुल में भारतीय दूतावास में कर्मियों की संख्या कम करना शामिल हैं। जयशंकर ने कंधार में 10-11 जुलाई को भारतीय वाणिज्य दूतावास से भारतीय कर्मचारियों को निकालने तथा मजार-ए-शरीफ से 10-11 अगस्त को कर्मियों की वापसी का उल्लेख भी किया।
तालिबान को लेकर भारत के रूख के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, 'अफगानिस्तान में स्थिति ठीक नहीं हुई है, इसे ठीक होने दीजिए। आपको संयम रखना होगा।' इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे। इसमें विदेश सचिव हर्ष शृंगला सहित विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में मौजूद लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के अभियान के संबंध में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने दूतावास के 175 कर्मियों, 263 अन्य भारतीय नागरिकों, हिंदू एवं सिख समेत अफगानिस्तान के 112 नागरिकों, अन्य देशों के 15 नागरिकों को बाहर निकाला और यह कुल आंकड़ा 565 है। दस्तावेज के मुताबिक, 'सरकार ने अन्य एजेंसियों के माध्यम से भारतीयों को निकालने की सुविधा भी उपलब्ध कराई।' इस महत्त्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया।
वापसी की कोशिश
विदेश मंत्री जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के बाद कहा, 'अफगानिस्तान के बारे में सभी दलों के विचार समान हैं, हमने मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता की भावना से बात की।' उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन देवी शक्ति' के माध्यम से सरकार ने छह उड़ान संचालित की हैं और अधिकतर भारतीयों को वापस लाया गया है लेकिन सभी भारतीयों को वापस नहीं लाया जा सका है।
जयशंकर ने कहा, 'हम अफगानिस्तान के कुछ नागरिकों को भी लाए हैं जो मौजूदा स्थिति में भारत आना चाहते थे। हमने ई-वीजा नीति के माध्यम से कई समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। इसलिए कुल मिलाकर सरकार जल्द से जल्द पूरी तरह से लोगों की वापसी सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।' सर्वदलीय बैठक को लेकर जयशंकर ने ट्वीट किया, 'अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर सभी राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं को जानकारी दी गई और 31 दलों के 37 नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। सभी को धन्यवाद।' उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने, राजनयिक कर्मियों का सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा पड़ोस प्रथम नीति के तहत संकट में पड़े अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद करना रही है। विदेश मंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल से चर्चा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ऐसे और संवाद होंगे। जयशंकर ने इस संबंध में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेष सत्र और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की बैठक की भारत द्वारा अध्यक्षता का भी उल्लेख किया। सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री ने मंत्रालय द्वारा स्थापित 24 घंटे चलने वाले विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ का जिक्र किया जिसमें विदेश मंत्रालय के 20 से अधिक अधिकारी लगे हैं।
कांग्रेस का सवाल
कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में सरकार से तालिबान को लेकर उसकी रणनीति के बारे में सवाल किया और कहा कि तालिबान के काबुल में कब्जा करने के बाद पैदा हुए हालात को देखते हुए आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कदम उठाने और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा तैयारी बढ़ाने की जरूरत है। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल खडग़े, अधीर रंजन चौधरी और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने विदेश मंत्री से तालिबान, राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनयिक संबंधों पर सवाल किए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है।
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