इस बार उत्तर प्रदेश में सजे होली के बाजार में चीनी ड्रैगन का दबदबा खत्म दिखता है। होली की पिचकारियों से लेकर टोपी, दुपट्टे और अन्य सामानों में देशी उत्पादों का ही बोलबाला है। रंग रुप में चीनी माल को टक्कर देती मेड इन इंडिया पिचकारियां कीमत में भी सस्ती हैं। राजधानी लखनऊ के थोक बाजार याहियागंज, गणोशगंज और अमीनाबाद में मेक इन इंडिया पिचकारी ही चारो तरफ नजर आ रही है तो कानपुर में भी थोक बाजार देशी उत्पादों से पटा पड़ा है। पहली बार एसा हो रहा है कि चीनी आइटम बाजार से गुम हैं और देशी सस्ती पिचकारियां अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। सजावटी आयटम के तौर पर बिकने वाली चांदी की पिचकारियां भी इस बार स्वदेशी ही बिक रही हैं और वह भी नई नई डिजाइनों में। राजधानी की याहियागंज बाजार में बीते साल तक जलवा बिखेरने वाली 100 से 300 तक वाली ड्रैगन, पाइप और पिट्टू पिचकारियां इस बार सिरे से गायब हैं जबकि इनकी जगह दिल्ली और अन्य जगहों की बनी हुई पिचकारियों ने ले ली है। दुकानदारों का कहना है कि देशी पिचकारियां सस्ती होने के साथ ही टिकाऊ हैं जो दो तीन साल तक चल जाती हैं। इसके साथ ही कई देशी पिचकारियों की बाद में मरम्मत भी हो सकती है। अमीनाबाद बाजार के थोक व्यापारी अशीष बाजपेयी का कहना है कि मेड इंन इंडिया की 650 रुपये प्रति पीस की प्रेशर गन पिचकारी हो या फिर 550 रुपये का टंकी बैग अथवा 350 रुपये से लेकर 800 रुपये तक का पीठ पर लादने वाली देशी सस्ती पिट्टू पिचकारियां, बाजार में इन्हीं की मांग सबसे ज्यादा है। उनका कहना है कि इस बार देशी पिचकारियां बाजार में नए डिजाइन के साथ मौजूद हैं। ये देशी पिचकारियों पहले बिकने वाले चीनी आयटम के मुकाबले खासी सस्ती हैं। देशी पिचकारियों में इस बार सबसे ज्यादा मांग हुक्का बार की हो रही जो कम से कम रेंज में 45 रुपये प्रति पीस मिल रही है। चौक सर्राफा बाजार के प्रमेश जैन का कहना है कि चांदी की बनी पिचकारियां भी स्वदेशी आ गई हैं। इस बार चांदी की कीमत गिरने के चलते 5,000 रुपये से शुरू होकर 40,000 रुपये तक की कीमत में डिजायनर चांदी की पिचकारियां मिल रही हैं। इन बेहद खूबसूरत चांदी की पिचकारियों में नक्काशी की गई है। सर्राफा कारोबारी ग्राहकों की मांग पर भी चांदी की पिचकारियां तैयार करवा रहे हैं। वजन के हिसाब से इनकी कीमत रखी जाती है। होली के उपहार के लिए दी जाने वाली चांदी की पिचकारी सस्ती तैयार हो रही है तो सजावट के लिए मंहगी वजनदार पिचकारी मिल रही है। व्यापारी नेता अजय त्रिवेदी का कहना है कि इस बार ड्रैगन नहीं मेक इन इंडिया का जलवा कायम है। होली के बाजार में टोपी और दुपट्टे भी देशी ही मिल रहे हैं तो सजावटी कलर बम भी मेड इन इंडिया बिक रहा है। गुलाल के मामले में पहले से ही बाजार देशी उत्पादकों के ही हवाले है।
