बजट में केंद्र सरकार के कोविड खर्च और अर्थव्यवस्था को उबारने पर अतिरिक्त खर्च के लिए नए विकल्पों पर विचार हो सकता है। अधिकांश विशेषज्ञ अतिरिक्त खर्चों के लिए उपकर के बजाय बॉन्ड लाने के पक्ष में हैं। पूर्व सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा, 'एक ऐसी परिस्थिति में जब मांग का पक्ष बहुत कमजोर है और आगे भी कमजोर रहने वाला है तब किसी अलग तरह का कराधान खराब विचार है।' सेन फिलहाल इंटरनैशनल ग्रोथ सेंटर्स इंडिया प्रोग्राम के निदेशक हैं। उन्होंने कहा कि इन खर्र्चों की व्यवस्था बॉन्ड के जरिये धन जुटाकर करना बेहतर विचार है क्योंकि इसमें लोग अपनी इच्छा से भागीदारी करेंगे। बॉन्ड के लिए आकर्षक स्थिति है। उन्होंने नीति निर्माताओं को यह भी याद दिलाया कि प्रतिरक्षण की प्राथमिक लागत राज्य सरकारें वहन कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'समूची लॉजिस्टिक लागत जो कि वास्तव में टीकाकरण का बड़ा हिस्सा है राज्य सरकारें वहन करेंगी।' उस परिप्रेक्ष्य में यदि केंद्र उपकार लगता है तो राज्यों को उपकर का बंटवारा एक खुला मुद्दा है। उन्होंने कहा, 'इसकी बजाय राज्यों को कहा जाना चाहिए कि वे कोविड उपकर से धन जुटाएं। केंद्र की अनुमति लेकर राज्य उपकार लगा सकते हैं।' भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डुवुरी सुब्बाराव ने पहले सुझाव दिया था कि ऋण जुटाने के लिए कोविड बॉन्ड को सीधे बाजार में जारी करना एक विकल्प हो सकता है। सुब्बाराव ने कहा था, 'इसके कई सकारात्मक पक्ष है। ठीक तरह से लाया गया बॉन्ड बचतकर्ताओं को एक आकर्षक विकल्प मुहैया कराएगा जिन्हें महंगाई बढऩे के कारण बैंक से ब्याज की कम दरें मिल रही हैं।' उन्होंने कहा कि यह तरकीब अपर्याप्त होते हुए भी जरूरी लगता है। डेलॉइट में पॉर्टनर नीरज आहुजा ने कहा कि किसी भी तरह का कर बोझ बढ़ाने का यह उपयुक्त समय नहीं है। शिव नादर यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और अर्थशास्त्र के प्रमुख पार्थ चटर्जी ने कहा कि टीका पर होने वाला खर्च अपने आप में बहुत अधिक नहीं होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार 130 करोड़ आबादी के 70 फीसदी को मुफ्त में टीका लगाती है और एक टीका की लागत 200 रुपये है तो इस पर आने वाला कुल खर्च 14,000 करोड़ रुपये का बैठेगा। लेकिन सरकार मुश्किल ही इतनी बड़ी आबादी मुफ्त में टीका मुहैया कराएगी।घर से काम करने वाले कर्मचारियों को मिले कर लाभ सलाहकार फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया ने गुरुवार को कहा कि सरकार को आगामी बजट में घर से काम करने वाले कर्मचारियों को कर कटौती का लाभ देने पर विचार करना चाहिए। उसका मानना है कि इस कदम से बाजार में मांग को बढ़ावा मिलेगा जैसा कि सरकार चाहती है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के वरिष्ठ कर पार्टनर राहुल गर्ग ने एक बजट पूर्व सत्र में कहा कि मांग को बढ़ाने के लिए आम लोगों के हाथ पर ज्यादा धन छोडऩे की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'एक स्पष्ट सोच यह है कि छोटे और मझोले करदाताओं को, खासतौर से कोविड-19 के मद्देनजर, कर में राहत दी जाए, खासतौर से घर से काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए।' कोविड-19 महामारी के बाद कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की नीति अपनाई है। भाषा
