एमएससीआई ने अपने वैश्विक सूचकांक में भारत का भारांक बढ़ाने का फैसला दूसरी बार टाल दिया। सूचकांक प्रदाता ने एक बयान में कहा, एमएससीआई विदेशी स्वामित्व की सीमा में संभावित बढ़ोतरी तक भारांक बढ़ाने का फैसला टालेगा, जिसके तहत भारतीय कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की क्षेत्रीय सीमा तक विदेशी निवेश की सीमा लागू हुई है। कई भारतीय कंपनियों में निवेश की गुंजाइश सरकार की तरफ से विदेशी निवेश की क्षेत्रीय सीमा को विदेशी पोर्टफोलियो की सीमा स्वत: माने जाने के सरकारी फैसले के बाद बढ़ी है। उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी में एफपीआई निवेश की सीमा 49 फीसदी तय की गई है और क्षेत्रीय सीमा 74 फीसदी है। 1 अप्रैल से प्रभावी नए नियम के तहत ऐसी कंपनी में एफपीआई निवेश की सीमा बढ़कर 74 फीसदी हो जाएगी, जबतक कि कंपनी इस सीमा को नीचे लाने का फैसला न लेती हो। डिपॉजिटरी फर्मों नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) ने उन कंपनियों की सूची प्रकाशित की है, जहां एफपीआई निवेश की गुंजाइश बढ़ी है। अप्रैल में एमएससीआई ने कहा था कि वह किसी तरह के बदलाव से पहले यह देखेगा और इंतजार करेगा कि नई सीमा किस तरह से व्यवहारिक तौर पर लागू होती है। सूचकांक प्रदाता ने मंगलवार को कहा कि बदलाव को समझने के लिए और स्पष्टीकरण की दरकार है। एमएससीआई ने कहा, एनएसडीएल और सीडीएसएल की तरफ से प्रकाशित सूची नई है और डिस्क्लोजर की व्यवस्था की परख के लिए बाजार के प्रतिभागियोंं को और वक्त की दरकार है। एमएससीआई सूचकांकों में बदलाव से पहले एनएसडीएल और सीडीएसएल की तरफ से समयसीमा, गुणवत्ता और मानकीकरण से संबंधित आंकड़े पर स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है।
