मतभेद दूर करने में जुटे मॉल और रिटेलर | |
विवेट सुजन पिंटो और राघवेंद्र कामत / मुंबई 06 01, 2020 | | | | |
करीब दो महीने के गतिरोध के बाद खुदरा विक्रेता और मॉल मालिक किराये को लेकर अपने विवाद सुलझाना चाह रहे हैं। ऐसा अनलॉक का पहला चरण शुरू होने की वजह से किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न गतिविधियों को धीरे-धीरे खोला जाएगा। मुंबई को छोड़कर देश के ज्यादातर हिस्सों में मॉल 8 जून को फिर से खुलेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण शहर में मॉल नहीं खोलने का फैसला किया है।
बहुत से सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को जानकारी दी कि मॉल को फिर से खोलने के समय को लेकर स्पष्ट सूचना जारी की गई है, इसलिए डेवलपरों और खुदरा विक्रेताओं ने बातचीत शुरू कर दी है। मॉल मालिक, विशेष रूप से बड़े मॉल मालिक उस तय किराये या न्यूनतम गारंटी राशि में कुछ छूट देने को तैयार हैं, जो खुदरा विक्रेताओं को अपने मौजूदा करार के तहत चुकानी होती है। सूत्रों ने बताया कि वे ऐसा मॉल फिर से खुलने के बाद करीब तीन महीने के लिए करने को तैयार हैं ताकि खुदरा विक्रेता अपने कारोबार को पटरी पर ला सकें।
फ्यूचर रिटेल के संयुक्त प्रबंध निदेशक राकेश बियाणी ने कहा, 'हमें इस संकट को लेकर बीच का रास्ता निकालना होगा।' उन्होंने कहा, 'दोनों पक्षों ने ही लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीनों में काफी तकलीफ झेली हैं। इसलिए अब हमें मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि उपभोक्ताओं के लिए स्टोर और मॉल में आना सुरक्षित एवं आसान बनाया जा सके।'
इनॉर्बिट मॉल्स के सीईओ रजनीश महाजन ने कहा, 'हम इस सप्ताह खुदरा विक्रेताओं से बातचीत करेंगे। हम अभी कोई फैसला नहीं ले पाए हैं।' इनोर्बिट के मुंबई और नवी मुंबई में मॉल हैं। हालांकि बड़े मॉल किराये के करारों किसी फेरबदल के बारे में विचार नहीं करना चाहते हैं। मगर छोटे मॉल इन विकल्पों पर विचार करने को तैयार हैं, जिनमें तीन महीने की अवधि के लिए किराये पर राजस्व हिस्सेदारी मुहैया कराना भी शामिल है।
प्रोजोन मॉल्स के सीईओ बिपिन गुरनानी ने कहा, 'हमने यह सोचा है कि हम इस साल थोड़ा अधिक देंगे और जब स्थितियां बेहतर हो जाएंगी तो ज्यादा लेंगे। लॉकडाउन के बाद हम कुछ समय के लिए राजस्व हिस्सेदारी के लिए भी तैयार हैं।' कुछ खुदरा विक्रेताओं ने मार्च 2020 से अगले 9 महीनों तक किराये के रूप में 10 से 12 फीसदी राजस्व लेने को कहा है। मगर उनकी यह पेशकश ज्यादातर बड़े मॉल मालिकों ने ठुकरा दी है। उनका तर्क है कि उन्होंने बैंकों की लीज रेंटल डिस्काउंटिंग स्कीम योजना के तहत अपनी लीज पर दी हुई परिसंपत्तियों पर ऋण ले रखे हैं।
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