बीमा कंपनियों के लिए किसी एक कंपनी में अधिकतम निवेश की सीमा तय होने के बावजूद भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अपनी मौजूदा हिस्सेदारी को करीब ग्यारह कंपनियों में बढ़ाकर 10 फीसदी से ज्यादा कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा नियम के अनुसार कोई भी बीमा बीमा कपंनी किसी अन्य कंपनी में 10 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी नहीं रख सकती है। इस संबंध में अगस्त 2008 में बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने जीवन बीमा कंपनी में निवेश संबंधी सीमा तय कर दी थी।
हालांकि एलाआईसी इस नियम से संतुष्ट नहीं दिखा और बीमा नियामक से इस नियम की समीक्षा करने की मांग की थी। हालांकि बीमा नियामक ने एलआईसी की इस मांग पर अभी तक कोई पहल नहीं किया है ।
लेकिन एलआईसी ने इस नियम की परवाह नहीं करते हुए कई ब्लू चिप कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को कम करने की बजाय इसमें इजाफा किया और साथ ही कम मूल्यांकन का तरीका अपनाकर दिसंबर तिमाही में कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी कर दी।
कुछ अन्य कंपनियों जैसे मारुति सुजूकी, हालांकि एलआईसी ने अपनी हिस्सेदारी को 11.05 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखा , लेकिन दिसंबर के अंत में एलआईसी ने अपनी यूनिट लिंक्ड योजनाओं के जरिए हिस्सेदारी में 3.59 फीसदी की बढ़ोतरी कर।
इस बढ़ोतरी के बाद एलआईसी की मारुति में कुल हिस्सेदारी बढ़कर 14.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। जबकि सितंबर के अंत में यह हिस्सेदारी 3.59 फीसदी के स्तर पर थी।
इस बाबत एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने जो भी कदम उठाए हैं वो हमारे रोजमर्रा के कारोबार का हिस्सा है और हमने इसे किसी खास मकसद को ध्यान में रखकर ऐसा नहीं किया है।
अधिकारी ने कंपनी के इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि हमने अपनी हिस्सेदारी छोटे स्तर पर बढाई है और हमेशा से आईआरडीए के नियमों का पालन करते आ रहे हैं और हम आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
एलआईसी के इस कदम के बाद जब आईआरडीए की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो इसके एक अधिकारी ने बताया कि हम स्थिति पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और हम बहुत जल्द इस दिशा में कोई कदम उठाएंगे।
अधिकारी ने कहा कि हम किसी भी सूरत में निवेश संबंधी नियमों में कोई ढ़ील नहीं बरतेंगे और जो भी कंपनियां इस नियमों का उल्लंघन करती हुईं पाती हैं उनको नियामक की कार्यवाई का सामना करना पड़ेगा।