पर्यावरण मंत्रालय की आनुवांशिक अभियांत्रिकी मूल्यांकन समिति (जीईएसी) अगले सप्ताह आनुवांशिक संशोधित (जीएम) सरसों के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण बैठक करने जा रही है। समिति देखेगी कि इसका व्यावसायिक विकास सुरक्षित रहेगा या नहीं। समिति अपने कार्यक्रम, विचार-विमर्श के विवरण और सुरक्षा परीक्षणों के परिणामों की कसौटी पर इसे परखेगी। समिति की बैठक 5 फरवरी को होगी। समिति संभवत: भारत की पहली व्यावसायिक रूप से विकसित आनुवांशिक संशोधित खाद्य फसल के भविष्य पर अंतिम संस्तुति दे सकती है। जीईएसी में प्रमुख रूप से पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाले सरकारी अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल होते हैं। यह आनुवांशिक अभियांत्रिकी फसलों के खेती परीक्षण के जन स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पडऩे वाले खतरों का मूल्यांकन करती है। समिति की अध्यक्षता पर्यावरण मंत्रालय में विशेष सचिव करते है। आमतौर पर सरकार की ओर से इसकी अनुशंसा का विरोध नहीं किया जाता। सरसों जैसी खाद्य फसलों समेत किसी आनुवांशिक संशोधित फसल को दो स्तरीय सुरक्षा परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें 'जैवसुरक्षा अनुसंधान स्तर के प्रथम और द्वितीय परीक्षण' के खेती परीक्षण शामिल होते हैं। इसके बाद ही जीईएसी द्वारा इनके व्यावसायिक खेती का मूल्यांकन किया जा सकता है। आनुवांशिक संशोधित सरसों परीक्षण के इन दोनों स्तरों से गुजर चुकी है। सरक्रारी सूत्रों ने पुष्टिï की है कि जीईएसी ने जनवरी के पहले हफ्ते में अपनी बैठक में आनुवांशिक संशोधित सरसों के मामले में विचार-विमर्श किया था। उस वक्त इसके विकासकर्ताओं को एक प्रस्तुतिकरण देने के लिए कहा गया था। तब जैवसुरक्षा और अन्य आंकड़ों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक उप-समिति का गठन किया गया था। इस उप-समिति को 2 फरवरी को अपनी रिपोर्ट जमा करानी है। हालांकि न तो फरवरी में होने वाली बैठक के कार्यक्रम का और न ही जनवरी में हुई बैठक की कार्यवाही का विवरण पब्लिक डोमेन पर डाला गया है। जीईएसी के अध्यक्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठï अधिकारी ने अन्य सदस्यों को पूर्व में सूचित किया था कि समिति जीईएसी की बैठक के जन उपभोग के निर्णयों के संक्षिप बिंदुओं को ही डालेगी। जीईएसी की बैठक में इस निर्णय को रखा गया था और बाद में यह सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए पब्लिक डोमेन में सामने आया था। उन्होंने यह भी सूचित किया था कि जीईएसी की विस्तृत कार्यवाही तभी उपलब्ध होगी, जब किसी के द्वारा आरटीआई के जरिए इसके बारे में पूछा जाएगा। लेकिन जनवरी में आयोजित बैठक की कार्यवाही में आनुवांशिक संशोधित सरसों की व्यावसायिक खेती संबंधी विस्तृत विवरण भी एक आरटीआई के जवाब में देने से मना कर दिया गया है और निर्णयों का संक्षेप अभी दिया जाना है।
