Year Ender 2024: साल 2024 भारतीय खेल जगत के लिए उपलब्धियों, उतार-चढ़ाव और भावनात्मक विदाई का साल रहा। शतरंज, कुश्ती, निशानेबाजी, हॉकी, क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने इतिहास रचा, तो वहीं कुछ दिग्गजों ने खेलों को अलविदा कहा। आइए, नजर डालते हैं 2024 के खेल जगत की खास झलकियों पर।
डी. गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में इतिहास रच दिया, जब सिंगापुर में वह 2024 फिडे विश्व चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा विश्व चैंपियन बन गए। इससे पहले बुडापेस्ट में आयोजित 45वें शतरंज ओलिंपियाड में भी भारत ने शानदार प्रदर्शन किया था। वहां पुरुषों और महिलाओं की टीम स्पर्धाओं में भारत को स्वर्ण पदक मिला था। भारत को व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी चार स्वर्ण मिले थे।
विनेश फोगाट को 2024 के पेरिस ओलिंपिक खेलों में महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा के फाइनल में अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उनका वजन तय सीमा से 100 ग्राम अधिक था। फाइनल के अपने सफर के दौरान विनेश ने पहले दौर में अपने करियर की सबसे बड़ी जीत हासिल की जब उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण जीतने वाली जापान की यूई सूसाकी को पराजित किया। अयोग्य घोषित होने के बाद 29 साल की विनेश ने टूटे दिल के साथ कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया।
वर्ष 2021 में जब मनु भाकर टोक्यो की असाका शूटिंग रेंज से बाहर निकलीं तो उनकी आंखों में आंसू थे क्योंकि ओलिंपिक में पदक जीतने का उनका सपना पिस्तौल खराब होने की वजह से टूट गया था। तीन साल बाद पेरिस में भी उनकी आंखें आंसुओं से नम थी मगर वे खुशी के आंसू थे क्योंकि मनु एक ही ओलिंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन चुकी थीं।
अवनि लखेरा ने पेरिस पैरालिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीत हासिल कर भारत को पहला स्वर्ण दिलाया। इस स्पर्धा में उन्होंने लगातार दूसरी बार स्वर्ण जीता और पैरालिंपिक में एक से ज्यादा पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। भारत ने इन खेलों में 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदकों के साथ कुल 29 पदक जीते जो पैरालिंपिक खेलों में भारत का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।
अरसे तक भारतीय हॉकी टीम की रीढ़ रहे गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पेरिस ओलिंपिक में टीम को कांस्य पदक मिलने के बाद खेल से संन्यास ले लिया। इससे पहले टोक्यो ओलिंपिक में भी भारतीय टीम ने कांस्य जीता था और दोनों ही मौकों पर श्रीजेश का अतुलनीय योगदान रहा।
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भारत ने बारबाडोस में टी-20 क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका पर शानदार जीत दर्ज की, जिसके बाद टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को खिलाड़ियों ने खुशी से हवा में उछाला। यह द्रविड़ के लिए खास मौका था क्योंकि 2007 के एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप में वेस्टइंडीज में ही उनकी कप्तानी में भारत की टीम पहले दौर में हारकर बाहर हो गई थी।
इमाने खलीफ (बाएं) और लिन यू टिंग ने 2024 के पेरिस ओलिंपिक खेलों में मुक्केबाजी के स्वर्ण पदक जीते। लेकिन इस दौरान पूरी दुनिया में इस बात पर सवाल उठते रहे कि उन्हें महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में भागीदारी की इजाजत मिलनी चाहिए या नहीं।
नोवाक जोकोविच ने 37 साल की उम्र में कार्लोस अलकाराज को हराकर ओलिंपिक स्वर्ण जीता। स्वर्ण जीतने का उनका यह सपना कई बार टूटने के बाद आखिरकार पेरिस में पूरा हुआ और वह टेनिस इतिहास के सबसे उम्रदराज ओलिंपिक चैंपियन बने। दुनिया के महानतम टेनिस खिलाड़ियों में शुमार जोकोविच के सफल करियर को इस जीत ने और चमकदार बना दिया।
स्पेन की फुटबॉल टीम ने इंगलैंड को 2-1 से पराजित कर यूरो कप 2024 जीत लिया। यह चौथा मौका था जब स्पेन ने यह स्पर्धा जीती। दूसरी ओर इंगलैंड की कोई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा जीतने की कोशिश अगले साल भी जारी रहेगी।
टी-20 विश्व कप में जीत के कुछ ही महीने बाद भारत की टीम को अपने ही घर में तगड़ा अपमान झेलना पड़ा, जब दौरे पर आई न्यूजीलैंड की टीम ने टेस्ट श्रृंखला में उसका सूपड़ा साफ कर दिया। घरेलू मैदानों पर 12 साल बाद ढेर होेने वाली भारतीय टीम स्पिन गेंदबाजी खेल ही नहीं पाई। 1933 के बाद पहली बार टीम भारत में तीन या अधिक मैचों की श्रृंखला में हर मैच हारी।
रविचंद्रन अश्विन, सुनील छेत्री और राफेल नडाल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इस साल अपने-अपने खेल को अलविदा कह दिया। ये अपने पीछे ऐसी विरासत छोड़ गए जो करोड़ों लोगों को प्रेरणा देगी। अश्विन टेस्ट क्रिकेट में भारत के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, नडाल ने टेनिस के 22 ग्रैंडस्लैम जीते हैं और छेत्री भारत के लिए फुटबॉल में तीसरे सबसे अधिक गोल करने वाले स्ट्राइकर हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने-अपने खेलों में नई इबारतें लिखीं।