मारुति सुजूकी से उसकी मूल कंपनी सुजूकी मोटर को मिलने वाली रॉयल्टी लगातार कम हो रही है मगर मारुति के मार्जिन में गिरावट थमती नहीं दिख रही। विश्लेषकों का कहना है कि सेमीकंडक्टर की किल्लत और कच्चे माल की लागत में लगातार बढ़ोतरी के कारण कार बिक्री घटने से इस साल की बाकी तिमाहियों और अगले वित्त वर्ष में भी कंपनी के मार्जिन पर दबाव बना रहेगा।
पहली तिमाही में कमजोर आमदनी और चिप की किल्लत के कारण उत्पादन में कटौती के कंपनी के ऐलान के बाद ज्यादातर ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के लिए मार्जिन के अपने अनुमान 50 से 100 आधार अंक घटा दिए हैं। 1 आधार अंक 1 प्रतिशत का 100वां हिस्सा होता है। मारुति सुजुकी इंडिया से मूल कंपनी सुजूकी मोटर कॉर्प को होने वाला रॉयल्टी भुगतान 31 मार्च को समाप्त वर्ष में एक दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। यह रॉयल्टी भुगतान तीन साल पहले तक निवेशकों की बड़ी चिंता थी।
मारुति के प्रवक्ता ने कहा कि रॉयल्टी में कमी अनुमानों के मुताबिक ही है। उन्होंने कहा, ‘जनवरी 2018 में स्वीकृत संशोधित समझौते में रॉयल्टी को शामिल किया गया है और इसके मुताबिक इसमें धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद थी।’ यह एमएसआईएल और एसएमजी (सुजूकी मोटर गुजरात) के मॉडलों पर एकसमान शर्तों पर देय है। प्रवक्ता ने कहा कि इसकी वास्तविक मात्रा वर्ष में उत्पादन पर निर्भर है। मारुति का एसएमजी के साथ ठेके पर विनिर्माण का समझौता है। लेकिन रॉयल्टी कम होने से कंपनी के एबिटा मार्जिन में तेज गिरावट को नहीं थामा जा सकता है।
कच्चे माल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी और बिक्री में कमी से कंपनी का मुनाफा घटा है। रिलायंस सिक्योरिटीज में अनुसंधान प्रमुख मितुल शाह ने कहा, ‘रॉयल्टी कम होने के बावजूद जिंंसों की ऊंची कीमतों और कम बिक्री से मार्जिन पर असर पड़ा है। चिप की किल्लत गहरा गई है, इसलिए आगामी तिमाहियों में मार्जिन पर दबाव रहने के आसार हैं।’ उन्होंने कहा कि वाहन कंपनियों की लागत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कंपनियां बढ़ी लागत का एक हिस्सा ही ग्राहकों पर डाल पाई हैं। इससे सभी वाहन कंपनियों की कमाई पर बोझ बढ़ेगा।
इस जापानी कार विनिर्माता की स्थानीय इकाई की शुद्ध बिक्री के प्रतिशत के रूप में रॉयल्टी वित्त वर्ष 2021 में घटकर 4.6 फीसदी रह गई। यह मारुति से 2011 में रॉयल्टी भुगतान शुरू होने के बाद सबसे कम है। यह वित्त वर्ष 2020 में 9.7 फीसदी और वित्त वर्ष 2019 में 12.6 फीसदी थी।
मॉडलों और भारतीय रुपये में जापानी येन के मुकाबले उतार-चढ़ाव पर रॉयल्टी की देनदारी निर्भर करती है। जब मॉडल पांच साल पुराना हो जाता है या पांच लाख बिक्री के आंकड़े पर पहुंच जाता है तो रॉयल्टी दर कम हो जाती है। मारुति के वर्ष 2018 में रॉयल्टी के कुछ हिस्से का भारतीय मुद्रा में भुगतान शुरू करने तक यह पांच फीसदी से ऊपर थी। रुपये में भुगतान से मारुति को जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट से सुरक्षा मिली है। वित्त वर्ष 2021 में गिरावट की वजह उन मॉडलों का अधिक योगदान है, जिन पर कम रॉयल्टी है। जिंसों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण पिछले सप्ताह मारुति ने कीमतें 22,500 रुपये तक बढ़ाई हैं।