कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी ने लंबी अवधि की मांग को लेकर चिंता जताई है। कंपनी का मानना है कि फिलहाल अटकी हुई मांग के कारण तेजी दिख रही है लेकिन इसे खत्म होने पर लंबी अवधि में वाहन उद्योग का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।
देश के कार बाजार में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ मारुति सुजूकी देश की एक बड़ी नियोक्ता भी है। कंपनी ने चेताया है कि मासिक बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि उद्योग की सेहत की जांच करने का कोई वास्तविक पैमाना नहीं सकती है क्योंकि लंबी अवधि में वृद्धि को लेकर सवाल अब भी बरकरार हैं।
कंपनी ने आशंका जताई है कि फिलहाल जो मांग दिख रही है वह जल्द ही खत्म हो जाएगी। इसी डर से उद्योग ने अब सरकार से अनुरोध किया है कि ग्राहकों के लिए खरीद लागत को स्थिर रखने के लिए ईंधन कुशलता संबंधी मानदंडों और उत्सर्जन मानदंड के दूसरे चरण को अप्रैल 2024 तक स्थगित कर दिया जाएग।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘मासिक आधार पर वृद्धि के आंकड़े अच्छे दिख रहे हैं, लेकिन उसमें अटकी हुई मांग का काफी योगदान है। इसलिए यह समग्र मांग के बारे में भ्रामक तस्वीर पेश करता है।’
चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) में इस गिरावट के पीछे की वजहों के बारे में श्रीवास्तव ने अधिक वाहन मूल्य निर्धारण के संबंध में खरीद की अधिक लागत का उल्लेख किया जो अधिक करों, कच्चे माल की अधिक लागत, अधिक उत्पादन लागत और बीमा एवं पंजीकरण लागत के कारण होती है। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि विनिर्माताओं ने सरकार के सामने ये मसले रखे हैं और जीएसटी की अधिक दरों के संबंध में बात की है तथा संबंधित अधिकारियों के साथ कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता (कैफे) मानदंडों का कार्यान्वयन स्थगित करा रहे हैं।
उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि हालांकि मार्च 2005 से मार्च 2010 के बीच पांच साल की अवधि के दौरान यात्री वाहनों की बिक्री की सीएजीआर 12.9 प्रतिशत रही है, लेकिन वित्त वर्ष 15 से वित्त वर्ष 20 के बीच पांच साल की अवधि में यह तेजी से गिरकर 1.3 प्रतिशत रह गई है। वित्त वर्ष 10 और वित्त वर्ष 15 बीच बिक्री में 5.9 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।
दरअसल वर्ष 2000 से वर्ष 2010 के बीच यात्री वाहनों की बिक्री की सीएजीआर 10.3 प्रतिशत रही तथा वर्ष 2010 से वर्ष 2020 के बीच यह 3.6 प्रतिशत हो गई है। इसलिए साफ तौर पर यह वृद्धि दर पिछले एक दशक के दौरान धीमी हो गई है और पिछले पांच वर्षों के दौरान इसमें और गिरावट आ गई है। हालांकि कार बिक्री का जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों से नजदीकी संबंध रहता है, लेकिन उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जीडीपी की अच्छी वृद्धि दर के बावजूद यात्री वाहनों की बिक्री को नुकसान
पहुंचा है।
यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री की सबसे अच्छी वृद्धि के लिहाज से दिसंबर को चिह्नित किया गया है, क्योंकि कारों की नई शुरुआत, सस्ता ऋण और जनवरी में दामों के इजाफे से बचने के लिए पहले ही की गई खरीद ने मांग बढ़ाने में मदद की थी। इस खंड ने इस वित्त वर्ष के दौरान दूसरा सबसे अच्छा महीना भी दर्ज किया। यात्री वाहनों में कार, एसयूवी और वैन शामिल रहती हैं।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) द्वारा साझा किए गए 86 प्रतिशत क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में यात्री वाहनों की बिक्री 24 प्रतिशत बढ़कर 2,71,249 इकाई हो गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2,18,775 इकाइयों की बिक्री दर्ज की गई थी।
अब वाहन उद्योग ने कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता (कैफे-2) नियमों और बीएस-6 चरण-2 के मानदंडों का कार्यान्वयन अप्रैल 2024 तक स्थगित करवाने के लिए सरकार से संपर्क किया है।