देश में बिजली की खपत और मांग के आंकड़े दिखाते हैं कि मॉनसून, मौसम और तापमान बदलते ही पावर सेक्टर की तस्वीर भी बदल जाती है, और नीतिगत तैयारियों के लिए मौसम विज्ञान के पूर्वानुमान अहम साबित होते हैं। देश में जुलाई 2025 के दौरान बिजली की खपत सालाना आधार पर केवल 2.6 प्रतिशत बढ़कर 153.63 अरब यूनिट (BU) रही। बिजली की मांग में यह मामूली वृद्धि मुख्य रूप से देशभर में सक्रिय मानसून के कारण हुई भारी बारिश और उसके चलते एयर कंडीशनर, कूलर जैसे कूलिंग उपकरणों के कम उपयोग का परिणाम रही।
जुलाई में एक दिन की सर्वाधिक मांग (पीक पॉवर डिमांड मीट) भी थोड़ा घटकर लगभग 220.59 गीगावाट रही, जो जुलाई 2024 में करीब 226.63 गीगावाट थी। उल्लेखनीय है कि एक दिन में बिजली की सर्वाधिक मांग का सर्वकालिक उच्च स्तर मई 2024 में करीब 250 गीगावाट तक पहुंच गया था, जबकि इससे पहले सितंबर 2023 में यह आंकड़ा 243.27 गीगावाट था।
सरकारी अनुमानों के अनुसार, 2025 की गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 277 गीगावाट तक पहुंचने की संभावना जाहिर की गई थी, लेकिन इस बार अप्रैल से शुरू हुए गर्मी के मौसम के दौरान जून में पीक डिमांड 242.77 गीगावाट रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल मानसून सामान्य समय से आठ दिन पहले, 24 मई को केरल तट पर पहुंच गया, जिससे पूरे देश में तेज बारिश हुई और जून-जुलाई में एयर कंडीशनर, डेजर्ट कूलर आदि की खपत कम रही।
IMD ने अप्रैल से जून के बीच अत्यधिक गर्मी और लू की अधिक घटनाएं होने की भविष्यवाणी की थी, विशेषकर मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में। हालांकि, मानसून की समय से पूर्व और मजबूत सक्रियता ने गर्मी के प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया। गौरतलब है कि 2025 में लू (heatwave) पहले ही आ गई थी – जबकि 2024 में पहली हीटवेव 5 अप्रैल को ओडिशा में दर्ज हुई थी, इस साल कर्नाटक और कोंकण क्षेत्र में 27-28 फरवरी को ही गर्मी की मार झेलनी पड़ी।
IMD के मुताबिक, अप्रैल से जून के बीच देश में सामान्य से ज्यादा तापमान और ज्यादा हीटवेव दिनों का अनुमान था, लेकिन अच्छी बारिश के चलते कूलिंग डिमांड अपेक्षाकृत कम रही। विशेषज्ञों का कहना है कि अब बिजली खपत में स्थिरता दिख रही है और अगले महीनों में मानसून की सक्रियता और तापमान के आधार पर मांग में बदलाव देखे जा सकते हैं.
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भारत ने 9 जून 2025 को 241 गीगावाट (GW) की पीक पॉवर डिमांड को बिना किसी कमी के पूरा कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सफलता को देश की मजबूत और भरोसेमंद पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रमाण बताया। जून में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह 241 GW की पीक डिमांड पूरी करने का रिकॉर्ड भारत के पावर सेक्टर की स्थिर वृद्धि और मजबूती को दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने अब तक का सबसे अधिक 34 GW पावर जनरेशन क्षमता जोड़ी है, जिसमें से 29.5 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से आई है। इसके साथ देश की कुल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी अब 472.5 GW हो गई है, जो 2014 में 249 GW थी। यह वृद्धि भारत को ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में अग्रणी बनाती है।
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मनोहर लाल ने बताया कि देश की राष्ट्रीय ऊर्जा की कमी अप्रैल 2025 तक केवल 0.1% रह गई है, जो 2013-14 में 4.2% थी। इससे साफ होता है कि ऊर्जा उपलब्धता अब लगभग हर जगह सुनिश्चित हो रही है। इसके अलावा भारत भविष्य के लिए एक अत्याधुनिक अल्ट्रा हाई वोल्टेज अल्टरनेटिंग करंट (UHV AC) ट्रांसमिशन सिस्टम भी विकसित कर रहा है। 2034 तक नौ 1100 किलोवोल्ट लाइनें और दस सबस्टेशन बनाए जाएंगे। इस परियोजना में लगभग 53,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। केंद्रीय पॉवर रिसर्च इंस्टिट्यूट इसके टेस्टिंग फैसिलिटीज़ पर काम कर रहा है। इस नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत का विद्युत ग्रिड और भी अधिक सक्षम, टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार बनेगा।
जुलाई 2025 में एक दिन में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति (पीक डिमांड मीट) घटकर 220.59 गीगावाट रह गई
एक दिन में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति (पीक डिमांड मीट) जुलाई 2024 में 226.63 गीगावाट थी।
मई 2024 में देश में अब तक की सर्वाधिक मांग 250 गीगावाट दर्ज की गई थी, जो अब तक का रिकॉर्ड है।
इससे पहले सितंबर 2023 में पीक डिमांड 243.27 गीगावाट थी।
सरकार का अनुमान था कि गर्मी 2025 में पीक डिमांड 277 गीगावाट तक पहुंच सकती है,
जून 2025 में यह 242.77 गीगावाट रही।
2024-25 के दौरान भारत ने इतिहास की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन क्षमता 34 गीगावाट जोड़ी
इसमें से 29.5 गीगावाट क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) से
देश की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 472.5 गीगावाट
2014 में देश की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता मात्र 249 गीगावाट थी।
अप्रैल 2025 तक भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा कमी (एनर्जी शॉर्टेज) घटकर सिर्फ 0.1% रह गई
2013-14 में भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा कमी (एनर्जी शॉर्टेज) 4.2% थी।
पावर ग्रिड व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए विकसित किया जा रहा अल्ट्रा हाई वोल्टेज AC (UHV AC) ट्रांसमिशन सिस्टम
इसके तहत 1100 किलोवोल्ट की नौ ट्रांसमिशन लाइनें और दस नए सबस्टेशन विकसित किए जाएंगे।
उच्च तकनीकी ट्रांसमिशन परियोजना में ₹53,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।
अल्ट्रा हाई वोल्टेज AC (UHV AC) ट्रांसमिशन सिस्टम परियोजना 2034 तक पूरी की जाएगी.
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