बीएस बातचीत
वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि दिसंबर में 1.15 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह आर्थिक सुधार और कर चोरी पर अंकुश की बदौलत रहा। दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना से बातचीत के अंश:
क्या कोविड के नए रूप से आर्थिक अनिश्चितता बढ़ेगी? इसका बजट बनाने पर क्या असर पड़ेगा?
हम  अनिश्चितता और नए सामान्य के दौर में जी रहे हैं। लेकिन अब हमने सीख लिया  है कि कैसे सतर्कता बरतें और आगे बढ़ें। कुछ क्षेत्रों पर अब भी असर बरकरार  है। हमें सतर्क रहना होगा, लेकिन साथ ही अपनी दैनिक कारोबारी गतिविधियां  भी जारी रखनी होंगी। हम बजट के समय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की  जरूरतें पूरी करने की कोशिश करेंगे। 
जीएसटी  संग्रह दिसंबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जबकि नवंबर में ई-वे बिल  कम सृजित हुए थे। इसमें चोरी रोकने के लिए उठाए गए कदमों का योगदान माना  जाए या आर्थिक सुधार का?
नवंबर  में पूरे देश में कोविड के मामले बढ़े थे, जिससे माल की आवाजाही रुक गई  क्योंकि देश के बहुत से हिस्सों में लॉकडाउन और कफ्यू्र्र था। इसलिए नवंबर  में ई-वे बिल के आंकड़े अक्टूबर की तुलना में कम रहे। दिसंबर में वे  अक्टूबर से अधिक करीब 6.42 करोड़ हैं। लेकिन दिसंबर में रिकॉर्ड जीएसटी  संग्रह में दो कारकों का योगदान रहा है। पहला, अर्थव्यवस्था तेजी से सुधार  की राह पर आगे बढ़ रही है। दूसरा, पिछले कुछ महीनों में ऐसे कुछ व्यवस्थागत  बदलाव शुरू किए हैं, जिनका असर अधिक संग्रह के रूप में नजर आया है।
उद्योग  का मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के इस्तेमाल पर पाबंदियों और गुम होने  वाले बिलों पर क्रेडिट रोकना उनके क्रेडिट के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन  है?
ये कदम केवल  कुछ हजार कंपनियों के लिए शुरू किए गए हैं, जो कानून का दुरुपयोग कर रही  हैं। कुल 1.2 लाख करदाता कंपनियों में से कुछ हजार कंपनियां ही ऐसी हैं,  जिन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपये के बिल जारी किए हैं, लेकिन उनका आयकर  प्रोफाइल दर्शाता है कि उन्होंने या तो रिटर्न ही नहीं भरा या आय दो लाख  रुपये के आसपास दिखा रही हैं। इसलिए अगर ऐसे कर चोरों पर कोई प्रतिबंध  लगाया जाता है तो इसका वास्तविक उद्यमों के अधिकारों पर कैसेे असर पड़ सकता  है?
चालू वित्त वर्ष को लेकर आपका क्या अनुमान है?
भारतीय  रिजर्व बैंक, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी विभिन्न  संस्थाओं और अर्थशास्त्रियों ने अपने अनुमान जारी किए हैं। उन्होंने अपने  अनुमानों में संशोधन किया है। लेकिन सभी में यह चीज समान है कि संचुकन के  स्तर को कम किया गया है।
क्या जीएसटी संग्रह 1.15 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर बरकरार रह पाएगा?
अर्थव्यवस्था  तेजी से सुधर रही है। हमने जीएसटी प्रक्रिया में व्यवस्थागत बदलाव किए हैं  और आगे भी कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते रहेंगे। इनका जीएसटी  संग्रह पर सकारात्मक असर दिखेगा।
प्रत्यक्ष  कर के आंकड़ों में पिछले 2 माह में अहम सुधार हुआ है। क्या आपको उम्मीद है  कि इस साल संग्रह पिछले साल के 10.6 लाख करोड़ रुपये के करीब रहेगा?
प्रत्यक्ष  कर के मामले में दिसंबर तक हमारा संग्रह 9.9 प्रतिशत कम है और सकल  प्रत्यक्ष कर संग्रह 7.68 करोड़ रुपये रहा है। मसला यह है कि पहली दो  तिमाहियों में कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ है। अगर कारोबार में  गिरावट आती है तो प्रत्यक्ष कर पर असर ज्यादा होता है और यह कंपनी को घाटे  में ले जा सकता है। साथ ही स्रोत पर कर (टीडीएस) की दरें घटाई गई हैं और  लाभांश वितरण कर खत्म किया गया है। इसके बावजूद अंतर 9.9 प्रतिशत है। कर  संग्रह का हमारा क्या आकलन है, यह बजट की राजस्व प्राप्तियों के पुनरीक्षित  अनुमान में दिखेगा
विवाद से विश्वास योजना को एक महीने बढ़ाया गया है। अब तक प्रतिक्रिया कैसी रही है?
31  दिसंबर तक 5,10,000 लंबित मामलों में से 96,000 ने विवाद से विश्वास योजना  का विकल्प चुना है। इन मामलों में विवादित राशि 83,000 करोड़ रुपये की है।  उनके पास 31 मार्च तक राशि चुकाने का समय है। अब हमने घोषणा की तारीख 31  जनवरी तक बढ़ा दी है, हमें उम्मीद है कि और बहुत से लोग योजना का विकल्प  चुनेंगे।