facebookmetapixel
Sushila Karki होंगी नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री, आज रात 9 बजे लेंगी शपथ; राष्ट्रपति कार्यालय ने किया ऐलानशेयर बाजार में बड़े सुधार! SEBI बोर्ड ने IPO नियमों में दी ढील, विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरूभारत-चीन सीमा पर रेलवे नेटवर्क होगा मजबूत, 500 किमी नई रेल लाइन प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 300 अरब रुपयेनिवेशकों को मिलेगा 156% रिटर्न! सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2019-20 सीरीज-X पर RBI ने तय की नई रिडेम्पशन कीमतSBI ने ऑटो स्वीप की सीमा बढ़ाकर ₹50,000 कर दी है: ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब है?India’s Retail Inflation: अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर, खाने-पीने की कीमतों में तेजी से बढ़ा दबावBank vs Fintech: कहां मिलेगा सस्ता और आसान क्विक लोन? समझें पूरा नफा-नुकसानचीनी कर्मचारियों की वापसी के बावजूद भारत में Foxconn के कामकाज पर नहीं होगा बड़ा असरGST कट के बाद दौड़ेगा ये लॉजि​स्टिक स्टॉक! मोतीलाल ओसवाल ने 29% अपसाइड के लिए दी BUY की सलाह₹30,000 करोड़ का बड़ा ऑर्डर! Realty Stock पर निवेशक टूट पड़े, 4.5% उछला शेयर

तय होगी भविष्य की कूटनीति: निरुपमा

Last Updated- December 11, 2022 | 6:47 PM IST

पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव का कहना है कि दुनिया में इस वक्त देश अपने ही दायरे में सिमटे हुए हैं और अधिकतर राजनयिक अवसर आज बंद हैं। ऐसे में जीवन के सामान्य क्षेत्रों के लोग भी राजनयिक दबाव को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ‘पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए 23वें बिज़नेस स्टैंडर्ड सीमा नेजरेथ पुरस्कार, 2021’ के आयोजन के मौके पर राव ने ये विचार व्यक्त किए।
‘सीमा पार पहुंच बनाने में नागरिक कूटनीति कैसे हो सकती है कारगर’ शीर्षक वाले अपने भाषण के माध्यम से राव ने ‘गैर सरकारी कारकों की भूमिका पर पूरा जोर दिया जो मतभेदों और गहरी जड़ों वाले संघर्षों को कम करने में अहम योगदान दे सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि अब ‘कूटनीति के केंद्र में आम लोग हैं और सामान्य नागरिकों के स्तर पर हममें से प्रत्येक के लिए नागरिक राजनयिकों की पूरी गुंजाइश बन रही है।’
क्षेत्र के इतिहास की ओर ध्यान दिलाने के साथ ही 19 वीं शताब्दी के यात्री थॉमस स्टीवंस और उपन्यासकार रुडयार्ड किपलिंग तथा गीतांजलि श्री के लेखन का जिक्र करते हुए राव ने कहा, ‘दक्षिण एशिया पूर्णता का परिचायक था। ग्रैंड ट्रंक रोड, भारत के सिल्क रूट के माध्यम से अविभाजित भारत के जरिये काबुल भी बर्मा की सीमाओं से जुड़ गया था।’
उन्होंने कहा,  ‘हालांकि संभवत: अंटार्कटिका को छोड़कर दक्षिण एशिया आज दुनिया में सबसे कम जुड़े हुए क्षेत्रों में गिना जाता है। ग्रैंड ट्रंक रोड को संकीर्ण राष्ट्रवाद ने खत्म कर दिया और इसके साथ ही क्षेत्रवाद पर व्यापक तरीके से जोर देने की सोच ने भी इसे नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा, ‘सरकार की रचनात्मकता सहयोग और प्रतिस्पर्धा करने से जुड़ी है और इसका एक व्यावहारिक पैमाना सभी देशों के साथ तय होता है। लेकिन इसके बजाय विभाजन काफी तेजी से बढ़ रहा है और ताकतवर देशों की प्रतिद्वंद्विता ने दुनिया को विभाजित कर दिया है। महामारी के बाद की दुनिया बेहद क्रूरता से भरी है जिसमें समावेशी सोच का पूरा अभाव दिखता है।’
उन्होंने कहा, ‘आप मीडिया में, एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), स्कूलोंं और विश्वविद्यालयों में ऐसी जमीन तैयार कर सकते हैं ताकि ऑनलाइन नफरत और मतभेद वाली विचारधाराओं का मुकाबला किया जा सके। इस लक्ष्य को कला के स्वरूपों जैसे कि संगीत के माध्यम से भी हासिल किया जा सकता है।’
राव ने सेवानिवृत्त होने के बाद से अपने पति के साथ इसी तरह की अनूठी पहल शुरू की है जिसके तहत संगीत के माध्यम से लोगों को एक साथ लाने के लिए उन्होंने एक दक्षिण एशियाई सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा बनाया है। वह कहती हैं, ‘हमने इस प्रयोग को नागरिक कूटनीति में ही शामिल किया है जिसका उभार भारत में हुआ है। इसकी वजह यह भी है कि संगीत शांति की भाषा का ही प्रतिनिधित्व करता है।’
उन्होंने इस क्षेत्र के संगीतकारों और भारतीय/दक्षिण एशिया के क्षेत्रों के संगीतकारों का एक डेटाबेस रखा जो इस ऑर्केस्ट्रा में योगदान दे सकते थे। ये संगीतकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका से आते हैं। ऑर्केस्ट्रा के सबसे कम उम्र के अफगानिस्तान के एक सदस्य के बारे में जानकारी देते हुए राव ने कहा कि उनकी जिंदगी का मकसद ही ‘संगीत की आवाज से युद्ध की आवाज को खत्म करना’ है।
राव ने कहा, ‘हमारे पहले संगीत कार्यक्रम में  दक्षिण एशिया के संगीतमय सफर ‘हमसफर’ नाम की की रचना पेश की गई जिसे अफगानिस्तान नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक (तालिबान के देश पर कब्जा किए जाने से पहले) ने इस अवसर के लिए मंजूरी दी थी।’  राव ने कहा, ‘हमारी आकांक्षा यह दर्शाने की है कि हम नागरिकों के रूप में संवाद के चैनल तैयार कर सकते हैं और नागरिक कूटनीति का भी प्रयोग कर सकते हैं।’
इससे पहले पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड सीमा नेजरेथ पुरस्कार, 2021 से वरिष्ठ उप-संपादक नितिन कुमार को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार हर साल 30 साल से कम उम्र के पत्रकार को दिया जाता जिसमें 50,000 रुपये की नकद राशि के साथ ही एक चांदी की कलम और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
नई दिल्ली के कुमार इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले 23वें पत्रकार हैं। इस पुरस्कार की शुरुआत नेजरेथ परिवार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड की युवा पत्रकार सीमा नेजरेथ की स्मृति में शुरू किया जिनका निधन मार्च 1999 में हो गया था। नितिन कुमार के काम की सराहना करते हुए, पुरस्कार के निर्णायक मंडल ने कहा कि उन्होंने राजनीति से लेकर कोविड-19 से जुड़े सामाजिक आर्थिक मसलों और किसान आंदोलन जैसे व्यापक विषयों पर अपनी दक्षता दिखाई है।
फीचर लेखिका अक्षरा श्रीवास्तव को ‘विशेष उल्लेख’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो सितंबर 2021 में इसी समाचार पत्र से जुड़ीं। उन्हें पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र और 10,000 रुपये का पुरस्कार दिया गया।
इस वर्चुअल आयोजन में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए सीमा नेजरेथ के पिता, पी ए नेजरेथ ने याद किया कि कैसे 21 फरवरी को उनकी बेटी के जन्मदिन पर राष्ट्रपति भवन में पहला पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार इस साल सितंबर में सीमा नेजरेथ की कविताओं के संग्रह का विमोचन करेगा।

First Published - May 24, 2022 | 12:33 AM IST

संबंधित पोस्ट