पिछले साल नए निवेशकों की बाढ़ देखने को मिली, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई शेयरों में लगाई। इस बार खास बात यह रही कि निवेशक म्युचुअल फंड के जरिए निवेश के बजाय सीधे शेयर बाजार में
कूद गए। म्युचुअल फंड उद्योग इस रुख से बेफिक्र है और इसे तेजी के बाजार की घटना बताया है। पारदर्शिता, कम लागत और निवेश के कई विकल्पों के कारण म्युचुअल फंड भारतीय निवेशकों की अग्रणी पसंद बना रहेगा। मंगलवार को आयोजित ‘बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट’ में म्युचुअल फंड उद्योग के दिग्गजों ने ये बातें कही।
देश के सबसे बड़े म्युचुअल फंड एसबीआई एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ विनय टोंस ने कहा, मौजूदा तेजी में सतर्क रुख अपनाया जाना चाहिए क्योंंकि यह तेजी निवेशकोंं को वैसे शेयर की खरीद के लिए लुभा सकता है, जो फंडामेंटल के लिहाज से सही नहीं है। किसे म्युचुअल फंड की दरकार नहींं है? अगर आप हमारी तरफ से पेश योजनाओं व समाधान पर नजर डालेंगे तो नौसिखिया से लेकर सधे निवेशक तक म्युचुअल फंड में निवेश के जरिये बेहतर अर्जित करेंगे। उद्योग ने पिछले कई साल में बचतकर्ताओं को निवेशक में तब्दील कर शानदार काम किया है।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक व सीईओ ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, एमएफ कई चक्र से गुजरा है, बाजार के उतार-चढ़ाव देखे हैं और देश में निवेशकोंं के लिए सबसे भरोसेमंद निवेश के साधनों में से एक के तौर पर उभरा है। उन्होंंने कहा, पिछले साल बाजार में उतरने वाले नए निवेशकों ने बाजार का सिर्फ एक ही पक्ष देखा है।
बालासुब्रमण्यन के मुताबिक, उद्योग ने जीडीपी का करीब 15 फीसदी सृजित किया है और बचत को पूंजी बाजार में लाने में अहम भूमिका निभाई है।
डीएसपी एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ कल्पेन पारेख ने कहा कि पारंपरिक इक्विटी व बॉन्डोंं, कमोडिटीज व वैश्विक इक्विटी से अलग एमएफ कई योजनाओं की पेशकश है, जो हर खुदरा निवेशकों से लेकर कॉरपोरेट व बैंंक ट्रेजरी के लिए फिट हो सकता है। इसमें संदेह नहींं है कि पिछले साल ब्रोकिंग उद्योग में नए खाते खुलने की दर ऊंची रही है, लेकिन हम उससे सीख सकते हैं। जितने ब्रोकिंग खाते खुलेंगे, उनका इस्तेमाल ईटीएफ खातों के तौर पर भी हो सकता है। सफर लंबा है लेकिन मुझे भरोसा है कि हम अलग-अलग तरह के निवेशकों का मकसद पूरा कर पाएंगे।
एचडीएफसी एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा, म्युुचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है, चाहे वह बचत करने वाला हो और जो निवेश करना चाहता हो, चाहे आपात जरूरत के लिए हो या फिर आय सृजन के लिए या फिर लंबी अवधि में गाढ़ी कमाई के लिए। उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड ज्यादा विनियमित और सख्ती के दायरे में हैं। यह ताजा रुझान चुनौती और अवसर, दोनों है। उन्होंने कहा कि सितंबर तिमाही में 30 लाख फोलियो शामिल हुए।
एडलवाइस एमएफ की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राधिका गुप्ता ने कहा, ‘गेम सिर्फ खाते खोलने से जुड़ा नहीं है। चुनौती लोगों को विभिन्न समय चक्रों के जरिये निवेश से जोड़े रखने की है। यह ऐसी लड़ाई है, जो हमें जीतनी होगी।’ बड़ी तादाद में फिनटेक कंपनियां म्युचुअल फंड क्षेत्र में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रही हैं। म्युचुअल फंडों के प्रमुख इसे खतरे के तौर पर नहीं देख रहे हैं, बल्कि वह इसे देश के दूर-दराज इलाकों में उद्योग की पहुंच में सुधार के रूप में मान रहे हैं।
कोटक महिंद्रा एमएफ के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, ‘कंपनियों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, उतना ही अच्छा है। हम आज शहरी-केंद्रित हैं और हमें भारत के हरेक पिनकोड तक पहुंचना होगा। ऐसा करने के लिए हमें सभी कंपनियों से सामूहिक प्रयास की जरूरत होगी।’ अंतरराष्ट्रीय फंड पिछले दो साल में निवेयशकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। हालांकि फंड प्रमुखों का मानना है कि यह महत्वपूर्ण था कि निवेशकों ने सबसे पहले भारतीय इक्विटी को पसंद किया और फिर विविधता के प्रयास में अंतरराष्ट्रीय इक्विटी की ओर रुख किया, और ऐसी कंपनियों या व्यवसायों में निवेश पर जोर दिया, जो भारत में मौजूद नहीं हैं।
पारेख ने कहा, ‘इक्विटी निवेश भारत और पूरी दुनिया में श्रेष्ठ व्यवसायों की खरीदारी के समान है। निवेशकों को सतर्कतापूर्वक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के समावेश के साथ हाइब्रिड पोर्टफोलियो तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। कई ऐसी विदेशी कंपनियां हैं जो भारत में मौजूद कंपनियों के मुकाबले तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं। विविध चक्रों और मल्टी-कंट्री पोर्टफोलियो पर ध्यान देने वाले देशों को अस्थिरता घटाने में मदद मिल सकती है।’
पैसिव योजनाओं की वृद्घि के बावजूद ऐक्टिव योजनाएं शीर्ष फंड हाउसों के पोर्टफोलियो के बड़े हिस्से में शामिल बनी हुई हैं। कई परिसंपत्ति प्रबंधकों ने निवेश विविधता लाने और निवेशकों को व्यापक विकल्प मुहैया कराने के प्रयास में अपने पोर्टफोलियो में पैसिव योजनाओं की पेशकश की थी।