पीतल नगरी मुरादाबाद का हस्तशिल्प उद्योग कोरोना की मार से राहत मिलने के कुछ ही महीने बाद आर्थिक सुस्ती की गिरफ्त में आ गया है। कारोबार से जुड़े उद्यमियों को इस समय ऑर्डर टलने और रद्द होने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उद्यमियों के मुताबिक वैश्विक आर्थिक हालात खराब होने व महंगाई बढ़ने के साथ ही पिछले साल निर्यात हुआ माल न बिकने के कारण ऑर्डर में कमी आई है। कच्चा माल महंगा होने से उद्यमियों के मुनाफे पर भी चोट पड़ी है।
मुरादाबाद मूल धातुओं से बने सजावटी सामान के निर्यात का बड़ा केंद्र है। यहां बनने वाले हस्तशिल्प उपहार, बाथरूम व बागवानी में काम आने वाले उपकरण, घर के सजावटी सामान की यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों में खूब मांग रहती है। हालांकि पीतल महंगा होने के कारण बीते छह-सात साल में अब ये सजावटी सामान पीतल के बजाय एल्युमीनियम, स्टेनलेस स्टील और लोहे के बनने लगे हैं। पीतल जैसा दिखाने के लिए इन पर पॉलिश की जाती है। मुरादाबाद में 4,500 से 5,000 इकाइयां हैं, जहां बनने वाले करीब 80 से 85 फीसदी उत्पादों का निर्यात किया जाता है। मुरादाबाद के इस उद्योग से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर तीन-चार लाख लोगों को रोजगार मिलता है।
हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव सतपाल कहते हैं कि कोरोना का असर खत्म होने पर मांग बढ़ी थी लेकिन कंटेनर की किल्लत के कारण माल समय पर नहीं पहुंच पाया। इस देरी के कारण काफी माल आयातक देशों के खरीदारों के पास पड़ा हुआ है। इस साल महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आर्थिक हालात बिगड़ने से माल कम बिकने का भी खटका है। इसलिए खरीदार पहले दिए जा चुके कुछ ऑर्डर को आगे के लिए टाल रहे हैं। पिछले साल करीब 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात हुआ था। मौजूदा हालात को देखते हुए इस साल यह घटकर 7,000 से 8,000 करोड़ रुपये रह सकता है। मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के महासचिव अजय गुप्ता ने बताया कि जून-जुलाई आपूर्ति का समय है। ऐसे में भी खरीदार अगले दो-तीन महीने के लिए ऑर्डर टालने की कह रहे हैं। यह भी नहीं पता कि वे आगे ऑर्डर लेंगे या नहीं।