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हरियाणा के देहात में डॉक्टर-नर्स नदारद

Last Updated- December 12, 2022 | 4:35 AM IST

कुछ दिन पहले 43 साल के रोहतास कुंडू के रिश्तेदार उन्हें बहादुरगढ़ के एक निजी अस्पताल में लेकर गए। यह अस्पताल हरियाणा के रोहतक स्थित तितोली गांव से करीब 68 किलोमीटर दूर है। रोहतास को उनके रिश्तेदार गांव में ही कोविड केयर सेंटर होने के बावजूद इतनी दूर लेकर आए। बहरहाल निजी अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बावजूद रोहतास को बचाया नहीं जा सका और कुछ ही दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई। रिश्तेदारों का कहना है कि समय पर इलाज नहीं मिलने से रोहतास की हालत बिगड़ गई थी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब रोहतास के अपने गांव में ही कोविड केयर सेंटर बना हुआ था तो फिर उसे वहीं पर क्यों नहीं भर्ती करा दिया गया था? अगर हुआ रहता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। खास बात यह है कि उस कोविड सेंटर में ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर एवं जरूरी दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद थीं।
इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश में हमें भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे की गुणवत्ता पता चलती है। तितोली गांव के कोविड केयर सेंटर में भी कोई डॉक्टर या नर्स या अन्य मेडिकल स्टाफ तैनात नहीं है, लिहाजा रोहतास के रिश्तेदार उन्हें बहादुरगढ़ लेकर गए थे। उस सेंटर पर सिर्फ एक सुरक्षा गार्ड ही तैनात है जो वहां मौजूद ऑक्सीजन सिलिंडर, दवाओं एवं अन्य मेडिकल उपकरणों की सुरक्षा कर रहा है।
डॉक्टर एवं नर्स नहीं होने से तितोली गांव के कोविड सेंटर में कोई भी मरीज नहीं जाता है। यह हालत तब है जब इस गांव में पिछले एक महीने में 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कोविड संक्रमण के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। उस सेंटर पर तैनात सुरक्षाकर्मी आकाश कुमार कहते हैं, ‘जब दूसरे डॉक्टरों ने यहां पर काम करने से मना कर दिया तो प्रशासन ने एक वैद्य (आयुर्वेदिक डॉक्टर) को यहां पर भेजा लेकिन वह भी अभी तक नजर नहीं आए हैं।’
वैसे तितोली हरियाणा का अकेला गांव नहीं है जहां पर किसी मेडिकल स्टाफ या डॉक्टर के बगैर कोविड केयर सेंटर बना हुआ है। तितोली से 15 किलोमीटर दूर स्थित निंदाणा गांव में भी 50 से अधिक मौत हो चुकी हैं और तमाम लोग वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पैतृक गांव निंदाणा में भी प्रशासन ने कोविड केयर सेंटर बना दिया है लेकिन गांव का कोई भी आदमी वहां नहीं जाता है। जब गांव के एक बुजुर्ग ऋषिराम पंडित से इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा, ‘कोविड सेंटर तो बना हुआ है लेकिन कोई डॉक्टर न होने से लोग वहां जाना ही नहीं चाहते हैं।’ पड़ोसी जिले झज्जर में भी यही स्थिति है। वहां के बादली गांव में स्थित एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) कोविड अस्पताल एवं टीकाकरण केंद्र दोनों के रूप में काम कर रहा है। लेकिन गांव में ही अस्पताल होने के बावजूद वहां के 60 से अधिक लोगों की कोविड जैसे लक्षण दिखने के बाद मृत्यु हो चुकी है। सीएचसी के बाहर गांववालों की भीड़ इक_ा हो गई थी कि उनके कोविड-संक्रमित रिश्तेदारों को अस्पताल में भर्ती किया जाए। लेकिन सीएचसी में मेडिकल स्टाफ न होने से किसी संक्रमित मरीज को भर्ती नहीं किया जा सका। कोविड जांच करने एवं मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श देने में व्यस्त डॉ प्रिया कहती हैं, ‘हमारे यहां सिर्फ पांच डॉक्टर तैनात हैं। लेकिन यहां पर मरीजों को भर्ती करने पर उनकी देखभाल के लिए हमें मेडिकल स्टाफ की भी जरूरत होगी जो कि नहीं हैं।’ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी ‘ग्रामीण स्वास्थ्य आंकड़े 2019-20’ के मुताबिक एक सीएचसी अस्पताल औसतन 1.71 लाख आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराता है। जब रोहतक के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल बिड़ला से निष्क्रिय पड़े कोविड केयर केंद्रों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘अस्पतालों में केवल उन्हीं कोविड मरीजों को भर्ती किया जा सकता है जिन्होंने संक्रमित होने का नतीजा आने के बाद संस्थागत पृथकवास का विकल्प अपनाया था।’ वह कहते हैं कि संस्थागत पृथकवास का विकल्प ठुकरा चुके मरीजों को इन अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा सकता है।
हालांकि डॉ बिड़ला कहते हैं कि कोविड केयर केंद्रों के पास स्थायी डॉक्टर नहीं हैं और वे हफ्ते में एक बार इन केंद्रों का दौरा करते हैं। डॉ बिड़ला कहते हैं, ’15 मई से हर रोज करीब 10 कोविड केयर सेंटर खोले जा रहे हैं। योजना यही है कि रोहतक के सभी 148 गांवों में ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकें।’ हालांकि वह इस बात को मानते हैं कि इन केंद्रों में अभी तक एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हाल ही में वादा किया था कि प्रदेश के हर गांव में जल्द ही 30 बेड वाला कोविड केयर केंद्र बनकर तैयार होगा जहां एक ऐंबुलेंस की भी सुविधा होगी। हालांकि इन केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर कोई बात नहीं कही गई। इस मुद्दे पर बात करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ  की कमी निश्चित रूप से हरियाणा की कोविड-19 से बचाव की लड़ाई में बाधा बन रही है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। रोहतास का दाह संस्कार करने के बाद उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों को एक-दूसरे के साथ हुक्का साझा करते हुए देखा गया और यहां कोविड से बचाव के नियमों की कोई भी परवाह नहीं कर रहा था। टीकाकरण अभियान पर सवाल उठाने वाले 82 साल के हवा सिंह का कहना हैए ‘किम्मी ना होंदा (कुछ नहीं होगा)।’ उनका कहना है कि कोविड-19 मामलों में आई तेजी की वजह से भी टीके ही हैं।
कोविड मरीजों की मदद करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता विकास किन्हा कहते हैं, ‘मुझे लोगों को टीका लगवाने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल लगता है। उन्हें संक्रमित होने का डर नहींं है बल्कि टीका लगाए जाने से ज्यादा डरते हैं और उनका कहना है कि यह सामान्य फ्लू के अलावा कुछ नहीं है।’ कई ग्रामीणों का मानना है कि 5जी दूरसंचार नेटवर्क के लिए हो रहा परीक्षण भी लोगों की मौत में आई तेजी के लिए जिम्मेदार है। गांव के एक बुजुर्ग जयपाल सिंह कहते हैं, ‘5जी के टावर इन सबके पीछे हैं। हमने जिलाधिकारी से 15 दिन के लिए दूरसंचार नेटवर्क बंद करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।’ यह पूछे जाने पर कि वे शारीरिक-दूरी के नियमों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं, रोहतक और झज्जर जिलों के ग्रामीणों ने बात पर जोर दिया कि ‘भाईचारा’ बनाए रखना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।
चार लोगों के साथ बैठकर हुक्का साझा करते हुए निंदाणा में 24 साल के प्रशिक्षु सिविल जज दीपक भारद्वाज कहते हैं, ‘हम आमतौर पर अपने गांव से बाहर नहीं जाते इसलिए हमें कोविड होने की संभावना कम है। ये मेरे भाई हैं। हम साथ रहते हैं और साथ में खाते हैं इसीलिए हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’ अधिकारियों के मुताबिक करीब 15,000 की आबादी वाले गांव में दूसरी लहर के दौरान अब तक कोविड के कम से कम 70 मामले देखे गए हैं।    
बुधवार को हरियाणा में कोविड से 124 लोगों की मौत की सूचना मिली जिससे राज्य में मरने वालों की कुल तादाद 6,923 हो गई। इसके अलावा संक्रमण के 7,774 नए मामले भी सामने आए हैं जिनमें रोहतक और झज्जर में क्रमश: 647 और 333 मामले हैं।  
किड्स, वायु ऐंड कोरोना नाम की कॉमिक बुक की सह-लेखक और पंजाब विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग की चेयरपर्सन डॉ सुमन मोर के मुताबिक बच्चों को कोरोनावायरस के बारे में शिक्षित करना और फिर वयस्कों को जागरूक करने के लिए उनकी मदद लेना बेहतर कदम होगा। मोर कहती हैं, ‘वयस्क आमतौर पर किसी की भी सलाह पर ध्यान नहीं देते हैं और शारीरिक दूरी के अलावा अन्य नियमों का उल्लंघन करते रहते हैं।’

First Published - May 21, 2021 | 10:53 PM IST

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