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आरटी-पीसीआर की घटी मांग

Last Updated- December 12, 2022 | 7:42 AM IST

देश में कोविड के आंकड़े घट रहे हैं, इसलिए जांच की संख्या में भी कमी आ रही है। पहले रोजाना करीब एक करोड़ जांच होती थीं, जो अब घटकर सात लाख पर आ गई हैं। इससे जांच प्रयोगशालाओं में उपकरणों और कर्मचारियों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिनकी तादाद महामारी के मद्देनजर बढ़ाई गई थी। बहुत सी प्रयोगशालाएं आरटी-पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल एचआईवी, तपेदिक, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों की जांच में कर रही हैं। अब गैर-कोविड जांचों की मांग भी बढऩे लगी है।
महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में कोविड के मामले बढऩे से आरटी-पीसीआर की मांग फिर बढऩे लगी है, मगर देश के ज्यादातर हिस्सों की जांच प्रयोगशालाओं में आरटी-पीसीआर जांचों की मांग घट रही है। महाराष्ट्र में भेजी गई केंद्रीय टीम ने राज्य में कोविड के मामले बढऩे की एक वजह जांचों की संख्या में कमी बताई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांचों में सुस्ती से मामलों की जल्द पहचान करना और समयबद्ध तरीके से प्रसार को रोकना संभव नहीं होता है।’
चेन्नई की एक प्रयोगशाला ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए बताया कि पहले वे रोजाना 5,000 नमूनों की जांच करते थे, मगर अब रोजाना 500 आरटी-पीसीआर जांच कर रहे हैं। एक प्रयोगशाला शृंखला ने कहा, ‘एक उद्योग के स्तर पर आरटी-पीसीआर मशीनों का उपयोग कुल स्थापित क्षमता का करीब 30 फीसदी है।’ महाजन इमेजिंग के संस्थापक और चीफ रेडियोलॉजिस्ट और नाथहेल्थ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष महाजन ने कहा, ‘देश की जरूरत को ध्यान में रखते हुए निवेश किया गया था। हमने नए सिरे से बहुत सी क्षमता बनाई थी। अगर मांग नहीं आती है तो हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं है। लोग अब वायरस को लेकर बहुत सहज हैं, जो एक अच्छा संकेत नहीं है।’
दिल्ली में पिछले दो सप्ताह के दौरान आरटी-पीसीआर जांच की संख्या 60,000 से घटकर 40,000 पर आ गई है। आरटी-पीसीआर को किसी मरीज में कोविड का पता लगाने के लिए सबसे भरोसेमंद जांच माना जाता है। बहुत सी जांच प्रयोगशालाओं ने क्षमता बढ़ाने पर मोटा निवेश किया है। उन्होंने नई मशीन, स्वचालित एक्सट्रैक्टर खरीदे हैं और नमूना संग्रह टीम, डेटा एंट्री ऑपरेटर, तकनीशियन जैसे बहुत से लोगों की नियुक्तियां की हैं। जब देश में महामारी बढ़ रही थी, उस समय जांचों की बढ़ती मांग को मद्देेनजर रखते हुए बहुत सी प्रयोगशालाओं ने संग्रह केंद्रों की संख्या में इजाफा किया था।
रेडियोलॉजिस्टों का मानना है कि जांच में निवेश बढ़ाना समय की मांग थी और जांच के अधिकतम दाम तय किए जाना भी प्रयोगशालाओं के लिए मुश्किलभरा था। मगर डायग्नोस्टिक क्षेत्र आरटी-पीसीआर जांचों का इस्तेमाल बढऩे से बेहतर तकनीक को अपनाने में सफल रहा है। एक रेडियोलॉजिस्ट ने कहा, ‘यह किसी संक्रमण को पहचानने का सबसे संवेदनशील तरीका है और इसने हमें ज्यादा सटीक नतीजों के साथ अपनी जांचों को बढ़ाने का मौका दिया है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि जांच प्रयोगशालाओं के पास प्रशिक्षित कर्मचारी हैं और उन्होंने पिछले साल मॉलिक्यूलर जांच के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किया है, इसलिए उन्हें निकट भविष्य में इन संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल के लिए व्यवहार्य वैकल्पिक तरीके ढूंढने पर विचार करने की जरूरत है।
थायरोकेयर टेक्नोलॉजिज के सीईओ अरिंदम हलदर ने कहा कि महामारी के दौरान स्वाब संग्रह या डेटा एंट्री के लिए बढ़ाए गए कर्मचारियों का अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है। हलदर ने कहा, ‘जिन कर्मचारियों को भर्ती किया गया था, वे मोटे वेतन वाले लोग नहीं थे। ज्यादातर फ्लेबोटोमिस्ट (जो रक्त के नमूने लेतेे हैं) को स्वाब के नमूने संग्रहीत करने के लिए प्रशिक्षित किया गया और अब उनका अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि जब गैर-कोविड जांचों में बढ़ोतरी होगी तो ये कर्मचारी मददगार साबित होंगे।
मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर की प्रवर्तक और प्रबंध निदेशक अमीरा शाह ने कहा, ‘गैर-कोविड जांचों की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है क्योंकि जिन लोगों ने महामारी के चरम पर होने के समय अपनी स्वास्थ्य जरूरतों को टाल दिया था, वे अब स्वास्थ्य सेवाएं ले रहे हैं। मरीजों में संक्रमण की संख्या कम है क्योंकि लोग ज्यादातर समय घर पर रहते हैं।’ हालांकि टीकाकरण में तेजी से जांच प्रयोगशाला ऐंटीबॉडी जांच की मांग बढऩे की उम्मीद कर रही हैं। लेकिन बहुत से लोग आगाह करते हुए कहते हैं कि जांच कोरोनावायरस के प्रसार की रोकथाम हो सकती है क्योंकि हम अभी इस महामारी से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं। आरटी-पीसीआर की मांग बढऩे के आसार हैं। हलदर ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि भविष्य में जेनेटिक जांच की मांग बढ़ेगी क्योंकि जागरूकता का स्तर बढ़ा है। आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल एचआईवी जैसी अन्य बीमारियों की पहचान में भी होता है। आने वाले समय में इसका उपयोग और बढ़ेगा।’
पीसीआर जांच क्या है और क्यों है अहम?
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरैस चेन रिकएक्शन किसी निश्चित डीएनए नमूने की लाखों और करोड़ों प्रतियां बनाने का एक वैज्ञानिक तरीका है। सार्स-सीओवी-2 वायरस की जेनेटिक सामग्री आरएनए में भंडारित होती है। किसी नमूने से इस आरएनए को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पद्धति से अपने पूरक डीएनए क्रम में तब्दील किया जाता है। आरटी-पीसीआर नोवेल कोरोनावायरस की पहचान कर लेता है, भले ही यह वायरस नमूने में अत्यधिक कम मात्रा में मौजूद हो। आरटी-पीसीआर प्रति मिलीलीटर वायरल आरएनए की 1,000 प्रतियों को भी पहचान सकता है। इसका मतलब है कि कोविड-19 आरटी-पीसीआर जांच न केवल वायरस की जेनेटिक सूचनाओं की पहचान करने में सक्षम है बल्कि वह नमूने में मौजूद जेनेटिक सूचनाओं की मात्रा की गणना में भी सक्षम है।

First Published - March 1, 2021 | 12:42 AM IST

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