देश में कई कंपनियां कोविड-19 वायरस से संक्रमित कर्मचारियों की मदद करने से लेकर उन्हें टीका लगाने या उन कर्मचारियों के परिवार की मदद करने में जुटी हैं जिन्हें संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी है। कंपनियां इस मुश्किल वक्त में अपनी तरफ से भी भरपूर कोशिश कर रही हैं। कुछ कंपनियों ने इस मुश्किल समय में सभी हितधारकों के साथ-साथ एक विस्तारित समुदाय को समर्थन देने के लिए अपना दायरा बड़ा कर दिया है।
उदाहरण के तौर पर नोएडा मुख्यालय वाली आईटी सेवा एवं कंसल्टिंग कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजी उन कर्मचारियों के परिवारों को एक साल का वेतन देने के साथ ही तीन साल तक मेडिकल बीमा और पांच साल तक बच्चों की शिक्षा में मदद कर रही है जिनकी मृत्यु कोविड-19 की वजह से हो गई है। एचसीएल टेक्नोलॉजीज के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी अप्पाराव वी वी कहते हैं, ‘इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर किसी की पत्नी/पति काम करने को तैयार है तो हम उन्हें प्रशिक्षण दे रहे हैं और उन्हें एचसीएल परिवार का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
रियल एस्टेट डेवलपर के रहेजा कॉर्प ने इस बीच चौबीस घंटे का एक केंद्रीय कोविड वॉर रूम तैयार किया है जिसे कंपनी के कर्मचारी ही चला रहे हैं ताकि अपने सहयोगियों के साथ-साथ आपातकालीन सेवाओं के लिए गैर-कर्मचारियों मदद भी डॉक्टरों, ऑक्सीजन या अस्पताल में भर्ती के लिए की जा सके। किसी प्रतिकूल घटना की स्थिति में यह कर्मचारी के परिवार को एक साल का वेतन एकमुश्त राशि के रूप में दे रही है। इसने मेडिकल कवर का दायरा भी बढ़ाया है और वित्तीय सहायता तथा अग्रिम वेतन की आकस्मिक जरूरतें पूरी करने के लिए एक योजना शुरू की है।
ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और वेंटिलेटर की मांग को देखते हुए मुंबई की मुख्यालय वाली उपभोक्ता वस्तुओं से जुड़ी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने इन्हें खुद ही खरीदने का बीड़ा उठाया है। एचयूएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में कंपनी ने 45 वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मंगाए हैं। इन्हें इनकी कमी से जूझ रहे अस्पतालों को दिया जाएगा। मेहता कहते हैं, ‘हम दुनिया भर से 2,400 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर का इंतजाम करने में सक्षम हैं जिन्हें हम भारत ला रहे हैं।’ एचयूएल में अब 60 पूर्णकालिक डॉक्टर हैं जो कोविड से पहले के दिनों की तुलना में 40 फीसदी अधिक है। कंपनी के पास सभी तरह की सुविधाओं से लैस 44 ऐंबुलेंस भी हैं और इसके देश भर में 30 आइसोलेशन केंद्र भी हैं जो नागरिक प्रशासन और अस्पतालों की मदद करने के लिए हैं। इसमें एक ‘नाइटिंगल सिस्टम’ जोड़ा गया है जो एक ऐप के माध्यम से काम करता है और जिसके जरिये कर्मचारी फोन पर सुझाव लेने और दवाओं के लिए डॉक्टरों से जुड़े होते हैं। गंभीर रूप से बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाया जाता है।
मेहता कहते हैं, ‘हमारे 22,000 कर्मचारियों और उनके परिवारों के अलावा हम अपने सभी वितरकों, सेल्समैन, माल ढुलाई करने वालों, माल उतारने वालों और शक्ति अम्मा (ग्रामीण क्षेत्र की करीब 300,000 महिला उद्यमियों) के टीकाकरण के लिए भुगतान करेंगे।’ प्रतिद्वंद्वी कंपनी प्रॉक्टर ऐंड गैंबल इंडिया के सीईओ (भारतीय उपमहाद्वीप) मधुसूदन गोपालन कहते है, ‘प्रॉक्टर एंड गैंबल इंडिया ने इस बीच कोविड-19 से बचाव के लिए अपने 5,000 से अधिक कर्मचारियों और उनके परिवार के अलावा 5 करोड़ से अधिक भारतीयों के टीकाकरण के लिए 50 करोड़ रुपये देने का वादा किया है।’
फूड एवं बेवरिज कंपनी पेप्सिको इंडिया ने भी अपने कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया है और इसने आपातकालीन सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ करार किया है। इसके अलावा, दिल्ली की गैर-लाभकारी संस्था एनवॉयरमेंट ऐंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड) के साथ भागीदारी कर पेप्सिको फाउंडेशन कमजोर तबके के लोगों तक अपनी पहुंच बना रही है खासतौर पर महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे पांच राज्यों में। कंपनी की योजना 100,000 से अधिक टीके की खुराक देने, पांच कोविड-केयर केंद्र स्थापित करने, इन राज्यों की जमीनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 100 से अधिक ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की खरीद करने की है। वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की आईटी सेवा प्रदाता कंपनी टेक महिंद्रा पहले से ही अपने केंद्रों का इस्तेमाल मेडिकल सेवा केंद्र के तौर पर कर रही है। टेक महिंद्रा ने फोर्टिस हेल्थकेयर के साथ करार किया है और अपने नोएडा सेंटर (नोएडा विशेष आर्थिक क्षेत्र) को 40 बेड वाले कोविड-केयर केंद्र में बदल दिया है। भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 11 शहरों में (तीन और शहरों को जोड़ा जा रहा है) ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर वाला कोविड केयर केंद्र बनाया है जहां चौबीसों घंटे नर्सों और डॉक्टरों की सुविधा होने के साथ ही इलाज मुफ्त है। इसके अलावा इसके कार्यालयों में कोविड जांच और टीकाकरण के शिविर लगाए जा रहे हैं।
इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस ने अस्पतालों के सहयोग से पुणे और बेंगलूरु में कर्मचारियों के लिए कोविड-केयर केंद्र बनाया है। देश में कंपनी के कुछ परिसरों में टीकाकरण केंद्र खोलने के अलावा, इन्फोसिस ने अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों को टीका लगाने के लिए 130 से अधिक अस्पतालों के साथ भी गठजोड़ किया है। प्रमुख शहरों में कोविड जांच लैब और आपातकालीन ऐंबुलेंस सेवा मुहैया कराने वालों के साथ भी गठजोड़ किया है। अब अगर एचसीएल टेक की बात करें तो यह बीमार पडऩे वाले कर्मचारियों को तीन श्रेणियों हल्के संक्रमण, मध्यम स्तर के संक्रमण और गंभीर संक्रमण में बांट रही है। हल्के संक्रमण वाले लोगों को खुद को सबसे अलग रखने की जरूरत है जिसके लिए कंपनी ने अपने परिसर में ही आइसोलेशन केंद्र बनाए हैं। महामारी की पहली लहर के दौरान इसने 150 बेड का इंतजाम किया था और डॉक्टरों तथा नर्सों के लिए अपोलो हॉस्पिटल के साथ करार किया है।
इस बार कंपनी के नोएडा, बेंगलूरु, मदुरै और लखनऊ केंद्रों में 250 बेड के इंतजाम किए गए हैं। अप्पाराव कहते हैं, ‘जो लोग एक या दो बेडरूम वाले घरों में रहते हैं उनके लिए खुद को दूसरों से अलग करना मुश्किल हो जाता है। ये केंद्र इसकी भरपाई करेंगे और बाकी हर चीज का ध्यान रखेंगे।’ मध्यम स्तर के संक्रमण वाले लोगों के लिए कंपनी ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर खरीद रही है।
अप्पाराव कहते हैं, ‘पिछले दो-तीन हफ्तों में हमने 250 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे हैं और अगर कर्मचारियों के पास डॉक्टर की पर्ची है तो हम उन्हें कर्मचारियों के लिए भेज रहे हैं।’ जिन कर्मचारियों को आईसीयू बेड की जरूरत है उसके लिए कंपनी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, चेन्नई, बेंगलूरु और हैदराबाद के अस्पतालों के साथ साझेदारी की है। अप्पाराव कहते हैं, ‘हम या तो फंड के जरिये या सामान की खरीद कर मदद कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने महसूस किया कि हमारे अस्पतालों में सीमित संसाधन और क्षमता है। इसलिए हमने उन अस्पतालों के साथ करार किया जो चीजों को रफ्तार करने के लिए करीब करीब तैयार थे।’
इस बीच, ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने सभी विक्रेताओं को दिए गए कोविड बीमा का पूरा प्रीमियम वहन करने का फैसला किया है जिसमें उनके अस्पताल में भर्ती होने से लेकर डॉक्टरी सलाह आदि की राशि का कवर 50,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये के बीच है।
यह अपने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम स्तर के उद्यमों को भी समर्थन दे रही है जिनमें विक्रेता, कारीगर, बुनकर और हस्तशिल्प भागीदारों भी हैं। कंपनियां कर्मचारियों की शारीरिक एवं वित्तीय सेहत पर ध्यान देने के अलावा कर्मचारियों की भावनात्मक एवं मानसिक सेहत की भी चिंता कर रही हैं। इसी वजह से के रहेजा कॉर्प ने ‘रीच आउट’ नाम की पहल की है जिसके तहत कर्मचारियों और उनके परिवार को पेशेवर परामर्श की सहूलियत मिलती है। इसने अपनी छुट्टी की नीति में भी बदलाव किया है जिनमें तीन दिन खुद की देखभाल करने वाली छुट्टी और गंभीर बीमार या इलाज के लिए असीमित वेतन के साथ वाली छुट्टी भी शामिल है। गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज समूह का हिस्सा है और इसने ‘टेकिंग ए पॉज टू हील’ पहल की पेशकश की है। पिछले सप्ताहांत 5 मई से लेकर तीन दिनों के लिए पूरे कर्मचारियों को छुट्टी दी गई। इनमें करीब 2,000 स्थायी कर्मचारी और विभिन्न जगहों पर करीब 600 अनुबंध वाले कर्मचारी शामिल थे। गोदरेज प्रॉपर्टीज के सीईओ और एमडी मोहित मल्होत्रा कहते हैं, ‘हमने अपने ग्राहकों से इजाजत मांगी है ताकि बिक्री और ग्राहक-टीमें भी ब्रेक ले सकें।’