जेफरीज के वैश्विक इक्विटी रणनीति के प्रमुख क्रिस्टोफर वुड (Christopher wood) ने भारतीय इक्विटी में अपने निवेश को कम कर दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह स्ट्रक्चरल रूप से भारतीय शेयर बाजार को लेकर बुलिश है। उन्होंने बीएस मंथन (BS Manthan) शिखर सम्मेलन के पहले दिन बातचीत के दौरान यह बात कही।
क्रिस ने गुरुवार (27 फरवरी) को बिजनेस स्टैण्डर्ड के बीएस मंथन समिट में कहा, ”भारतीय शेयर बाजार पहले अपने चरम पर था और वर्तमान में हम अच्छे फेस में नहीं हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि भारतीय बाजार अब पहले ही करेक्ट हो चुके हैं।”
उल्लेखनीय है कि भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ समय से गिरावट का सामना कर रहे हैं और इनमें गिरावट ला सिलसिला अभी भी जारी है। भले ही गिरावट की गति में अब कुछ कमी आई हो लेकिन ओवरऑल सेंटीमेंट अभी भी कमजोर बने हुए हैं। सितम्बर अपने ऑल टाइम हाई लेवल से बाजार 13% टूट चुके हैं। विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच अमेरिकी प्रेजिडेंट डोनल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है।
क्रिस ने अमेरिका के टैरिफ वृद्धि लेकर कहा कि दुनिया टैरिफ के लिए तैयार नहीं है। अमेरिका में महंगाई पहले से बहुत ज्यादा है। हाई टैरिफ से लोगों का जीवन और मुश्किल हो जाएगा। ट्रम्प प्रशासन अमेरिकी फेड से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है।
क्रिस ने कहा कि भारतीय बाजारों के लिए बदलाव जल्द ही आएंगे। भारतीय शेयर बाजार पर नजर डालें तो आपको आज ही निवेश शुरू कर देना चाहिए। मैंने भारत पर अपना निवेश कम कर दिया है, लेकिन अभी भी भारत पर ओवरवेट हूं। हालांकि, चीन के शेयर बाजार का चार्ट भारत से बेहतर दिखता है।
उन्होंने कहा कि मैं संरचनात्मक रूप से भारतीय बाजारों को लेकर बुलिश हूं। सरकार ने कैपेक्स बढ़ाने के लिए सब कुछ किया है। सरकार द्वारा कैपेक्स में भारी बढ़ोतरी उत्साहजनक रही है।
क्रिस वुड में भारतीय शेयर बाजारों के लिए सबसे बड़े रिस्क को लेकर कहा कि वैल्यूएशन घरेलू बाजार के लिए सबसे बड़ा रिस्क है। खासकर स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स का वैल्यूएशन।
उन्होंने कहा कि चीन के डीपसीक (DeepSeek) नेविदेशी निवेशकों एफआईआई बिकवाली की दूसरी लहर शुरू कर दी। इस बात ने मुझे हैरान किया है वह है विदेशी निवेश इतने बड़े पैमाने पर बिकवाली क्यों कर रहे हैं।