भारत अपने डिजिटल समावेशन कार्यक्रमों के जरिये यह प्रदर्शित कर रहा है कि अमीरों और वंचितों के बीच खाइयों को पाटने में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है। यह बात केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को बेंगलूरु में आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड टेकटॉक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में तकनीक ऐसा करने में कामयाब रही है उनमें से सब्सिडी लेने के लिए फर्जी खातों में आई कमी शामिल है।
मंत्री ने कहा कि डिजिटल समावेशन बनाम डिजिटल विभाजन की बहस के बीच दुनिया में यदि कोई ऐसा देश है जो यह दिखा रहा है कि अमीरों और वंचितों के बीच खाइयों को पाटने में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है तो वह भारत है।
मीडिया खबरों के अनुसार, सरकार तकनीकी के बल पर साल 2014 से 2021 के बीच 4.28 करोड़ फर्जी राशन कार्ड को खत्म करने में सफल रही।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यानी कृत्रिम मेधा और इससे लैस समाधान विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल देश लाभान्वित होगा बल्कि लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।
चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा, ‘एआई से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इससे शासन को कहीं अधिक स्मार्ट और अधिक डेटा आधारित बनाने में भी मदद मिलेगी।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के लिए एआई पर काम को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा, ‘एआई पर हमारी सरकार का दृष्टिकोण 2017-18 में हमारे प्रधानमंत्री द्वारा कही गई एक बात में छिपी है। उन्होंने कहा था कि हमें एआई को भारत में बनाना है और एआई को भारत के लिहाज से तैयार करना है। साल 2015 से ही हमारी सरकार मानती रही है कि तकनीक से बदलाव आएगा और सशक्तीकरण की दिशा में मदद मिलेगी।’
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार एआई का परिवेश तैयार करने और ई-शासन प्लेटफॉर्म को कहीं अधिक कुशल बनाने के लिए करीब 20 करोड़ डॉलर यानी करीब 1,635 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘एआई पर खर्च करने के लिए हमारे पास 20 करोड़ डॉलर रकम उपलब्ध है। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि अगर एआई के लिए एक विश्व-स्तरीय ढांचा तैयार करने के लिए अतिरिक्त रकम की जरूरत पड़ी तो सरकार इसका प्रबंध करने के लिए पूरी तरह तैयार रहेगी। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि और रकम की आवश्यकता होगी क्योंकि एआई के लिए ढांचा से अधिक नवाचार अहम होता है।’
सरकार इंडिया स्टेक के संचालन से जुड़े ऐप्लिकेशन, डिजिटल इंडिया भाषिणी, स्वास्थ्य सेवा और आधुनिक ऐप्लिकेशन बनाने के लिए एआई के इस्तेमाल को वरीयता देगी।
मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सरकार निजी क्षेत्र एवं स्टार्टअप इकाइयों को अन्य क्षेत्रों में एआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
चंद्रशेखर ने कहा कि जिस तरह यूपीआई दुनिया में वित्त-तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल साबित हुआ है, उसी तरह एआई की मदद से सरकारी एवं प्रशासनिक कार्य अधिक सरलता से किए जा सकते हैं। एआई की मदद से योजनाएं सटीक आंकड़ों के साथ तैयार करना आसान हो जाएगा।
स्किल इंडिया के नए वर्जन की पेशकश पर कुछ सप्ताह पहले सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों का जिक्र करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि कार्यक्रम का संस्करण उद्योग और भविष्य, दोनों पर केंद्रित है।
इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि उद्योग से यह स्पष्ट हो गया है कि एआई कौशल और संबद्ध प्रतिभाओं की आने वाले वर्षों में व्यापक मांग होगी।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘कल की दुनिया आज जैसी नहीं होगी, और यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए हम जो आज इस्तेमाल करते हैं वह कल इस्तेमाल नहीं होगा। यह (रोजगार-संबंधित) बदलाव ऐसा है जिसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए। हमें इससे दूर भागने की जरूरत नहीं है, हमें इसे एक अवसर के तौर पर ध्यान देना होगा। यह एक ऐसा बदलाव है जिससे पूरी दुनिया को सामना करना पड़ रहा है। लेकिन हमारे पास इन सभी नई रोजगार जरूरतों के लिए प्रतिभाएं एकत्रित करने की क्षमता है। आज हमारे पास ऐसे युवा भारतीय हैं जो स्किल्ड, अपस्किल्ड या री-स्किल्ड के लिए तैयार हैं।’
अपने इंडिया एआई प्रोग्राम के तहत, केंद्र सरकार ने इंडिया डेटाबेस कार्यक्रम पेश करने के लिए उद्योग हितधारकों के साथ परामर्श किया है। एआई पर इंडिया डेटासेट प्लेटफॉर्म और उत्कृष्टता केंद्र तैयार करने के लिए सरकार से चार कार्यकारी समूहों, शैक्षिक संस्थानों, और स्टार्टअप की स्थापना की गई है।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘एआई के बारे में सबसे बड़ी चिंताओं में से एक भेदभाव की आशंका और संबद्ध आंकड़ों में विविधता के अभाव से जुड़ी हुई है। भारत का डेटासेट प्रोग्राम ताकतवर एवं सक्षम होने की एक वजह यह भी है कि हम देश के सभी हिस्सों के नागरिकों के बेहद विविध आंकड़ों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में हमारी सोच यह है कि भारतीय डेटासेट कार्यक्रमों तक पहुंच अनिवार्य तौर पर या तो भारतीय शोधकर्ताओं या स्टार्टअप को मुहैया कराई जाएगी। बड़ी वैश्विक कंपनियों के साथ भागीदारी करने में भारतीय स्टार्टअप को कोई समस्या नहीं है, लेकिन निश्चित तौर पर, हम भारतीय स्टार्टअप के लिए प्रत्यक्ष पहुंच की अनुमति देंगे।’
2023-24 के बजट में सरकार ने एआई के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। ये केंद्र शैक्षिक शोधकर्ताओं, उद्योग और विभिन्न स्टार्टअप से जुड़े होंगे। मंत्री ने कहा कि एआई के लिए हब-ऐंड-स्पोक मॉडल के समान नेटवर्क मॉडल होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए सुरक्षा कवच बनाने पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि चर्चाओं का अगला दौर अप्रैल के अंत तक शुरू होगा।