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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकती न्यायपालिका

धनखड़ ने उच्चतम न्यायालय के अनुच्छेद 142 को लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बताया, न्यायिक स्वतंत्रता पर उठाए सवाल

Last Updated- April 17, 2025 | 10:43 PM IST
Jagdeep Dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने और ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ नहीं दाग सकता।

धनखड़ ने न्यायपालिका के प्रति यह कड़ी टिप्पणी राज्य सभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए की। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय की थी। उन्होंने ने कहा, ‘इसलिए, हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’

उपराष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 को ‘न्यायपालिका को चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।’

नकदी मामले में जज पर क्यों नहीं हुई एफआईआर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास से बड़े पैमाने पर नकदी बरामद होने के मामले में प्राथमिकी दर्ज न किए जाने पर गुरुवार को सवाल उठाया और कहा कि क्या कानून से परे एक वर्ग को अभियोजन से छूट हासिल है। धनखड़ ने कहा, ‘अगर यह घटना किसी आम आदमी के घर पर हुई होती, तो प्राथमिकी दर्ज किए जाने की गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट सरीखी होती, लेकिन उक्त मामले में तो यह बैलगाड़ी जैसी भी नहीं है।’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र जांच या पूछताछ के खिलाफ किसी तरह का सुरक्षा कवच नहीं है। किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना है।
उच्चतम न्यायालय ने 14 मार्च को होली की रात दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर लगी भीषण आग को बुझाने के दौरान वहां कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नोटों की अधजली गड्डियां बरामद होने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए थे।

इसके अलावा, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था। धनखड़ ने मामले की आंतरिक जांच के लिए गठित तीन न्यायाधीशों की समिति की कानूनी वैधता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि तीन न्यायाधीशों की समिति मामले की जांच कर रही है, लेकिन जांच कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है, न्यायपालिका का नहीं। उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि समिति का गठन संविधान या कानून के किसी प्रावधान के तहत नहीं किया गया है और समिति भी अधिक से अधिक सिफारिश ही कर सकती है।

First Published - April 17, 2025 | 10:43 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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