विपक्ष के लगभग सभी प्रमुख नेताओं और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बाबासाहेब आंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी की आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाह को कैबिनेट से बर्खास्त करें। इस मुद्दे पर विपक्ष के भारी हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही भी बाधित हुई। विपक्ष जब अक्रामक रूप से एक सुर में शाह पर हमले कर रहा था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट कर उनका जोरदार बचाव किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने संविधान निर्माता का अपमान करने के कांग्रेस के काले इतिहास की पोल खोल दी, जिससे मुख्य विपक्षी पार्टी स्तब्ध है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके ‘दूषित इकोसिस्टम’ को लगता है कि उसके ‘दुर्भावनापूर्ण झूठ’ संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति उसके कई वर्षों के ‘कुकर्मों’ को छिपा सकते हैं तो वह ‘गंभीर भूल’ कर रही है।
बाद में केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने संवादाताओं से बात करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने राज्य सभा में बाबासाहेब आंबेडकर पर दिए गए उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर समाज में भ्रांति फैलाने की कोशिश की है, क्योंकि चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने संविधान निर्माता के बार-बार किए गए अपमानों पर विपक्षी पार्टी की पोल खोलकर रख दी थी। शाह ने यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह सपने में भी संविधान निर्माता का अपमान नहीं कर सकते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वीर सावरकर का भी अपमान किया और आपातकाल लगाकर संविधान में प्रदत्त मूल्यों पर पानी फेरा। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शाह के संबोधन का एक वीडियो अंश जारी किया था, जिसमें संविधान पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए यह कहते सुने जा सकते हैं कि ‘अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर…। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’
कांग्रेस ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संदर्भ में शाह की इस टिप्पणी को अपमानजनक बताया और भाजपा पर तीखा प्रहार किया। पार्टी ने कहा कि यदि शाह इस्तीफा नहीं देते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी को उनका बचाव करने के बजाय आज रात 12 बजे तक उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री को बाबासाहेब के प्रति थोड़ी भी श्रद्धा है तो उन्हें यह कदम उठाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि शाह को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘अमित शाह ने जो बात कही, वह निंदनीय है। यह देश का दुर्भाग्य है कि एक दलित नायक, जो सबके लिए पूजनीय है, उनके बारे में इस तरह की टिप्पणी की गई है।’ लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश संविधान निर्माता का अपमान सहन नहीं करेगा। गृह मंत्री को माफी मांगनी चाहिए।
शाह के बयान का विरोध संसद में ही नहीं किया गया, बल्कि राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी इसे लेकर प्रदर्शन किया गए। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और शाह से माफी की मांग की। संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट कांग्रेस, द्रमुक और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसद एकत्र हुए और शाह की टिप्पणी को लेकर विरोध जताते हुए नारेबाजी की।
अगले साल फरवरी में विधान सभा चुनाव का सामना करने वाली दिल्ली में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने संविधान को लेकर प्रमुख सहयोगी कांग्रेस पर हमला करने के लिए भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बगैर उन पर जम कर निशाना साधा।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर तमिल भाषा में लिखे एक पोस्ट में कहा, ‘वे लोग जो सबसे ज्यादा पाप करते हैं, उन्हें ‘पुण्य’ के बारे में चिंता करनी चाहिए। जो लोग वास्तव में देश, नागरिक और संविधान की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं, वे केवल बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर का ही नाम लेंगे।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि शाह की टिप्पणी सत्तारूढ़ भाजपा की ‘जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता’ का प्रदर्शन है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने टिप्पणी को अपमानजनक बताते हुए दावा किया कि यह उन लाखों लोगों का अपमान है जो मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए आंबेडकर की ओर देखते हैं।
(साथ में एजेंसियां)