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बिहार में अधिक मतदाता छूटे तो दखल देंगे: शीर्ष अदालत

पीठ ने बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त की तारीख तय कर दी है।  

Last Updated- July 29, 2025 | 10:20 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यदि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम के बाद 1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन में बड़ी संख्या में मतदाताओं को  छोड़ा गया तो वह अवश्य दखल देगा। अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और माना जाता है कि यह कानून के अनुसार कार्य करती है। लेकिन मतदाताओं के बड़े पैमाने पर सूची से बाहर होने पर अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ेगा।

देश की सर्वोच्च अदालत ने याचियों से कहा, ‘संवैधानिक संस्था होने के नाते चुनाव आयोग कानून के अनुसार कार्य करने के लिए जाना जाता है। यदि कोई गलत काम किया जाता है, तो आप इसे अदालत के ध्यान में लाएं। हम आपकी बात सुनेंगे।’ न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची के पीठ ने बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त की तारीख तय कर दी है।  

याचियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि 1 अगस्त को निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित की जाने वाली मसौदा सूची से अनेक लोगों को बाहर किया जा रहा है। इससे वे अपने वोट देने का अधिकार खो देंगे। भूषण ने कहा कि आयोग ने कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान 65 लाख लोगों ने गणना फॉर्म जमा नहीं किए, क्योंकि या तो वे मर चुके हैं अथवा स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं। हालांकि आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि मसौदा सूची प्रकाशन के बाद भी गणना फॉर्म दाखिल किए जा सकते हैं। पीठ ने तब दोनों पक्षों को 8 अगस्त तक अपने जवाब दाखिल करने के लिए कहा। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बिहार में मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

First Published - July 29, 2025 | 10:10 PM IST

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