राजनीति

महाराष्ट्र में फिर से जोर पकड़ने लगा आरक्षण का मुद्दा

आंदोलनकारियों ने सरकार से लिखित आश्वासन देने की मांग करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण से ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- June 17, 2024 | 8:08 PM IST

Maharashtra Reservation Issue: चुनाव खत्म होते ही महाराष्ट्र में एक बार फिर से आरक्षण का जिन्न निकल पड़ा है। एक तरफ मराठा समुदाय अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के लिए एक महीने की समय सीमा तय की है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) नेताओं ने ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने का विरोध का विरोध कर रहे हैं।

मराठा की तर्ज पर अब ओबीसी के नेता भी अनशन को अपना हथियार बना रहे हैं। मराठा और ओबीसी समुदाय अपनी अपनी शर्तों पर अडिंग है जो सरकार के गले का फांस बनता जा रहा है।

ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण की मांग के बीच ओबीसी श्रेणी के दो कार्यकर्ता जालना जिले में अनशन पर बैठे हैं और सरकार से आश्वासन की मांग रहे हैं कि उनका आरक्षण प्रभावित न हो।

राज्य सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को ओबीसी कार्यकर्ताओं लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे से मुलाकात की और उनसे अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। लेकिन दोनों ही कार्यकर्ताओं ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

आंदोलनकारियों ने कहा कि वे मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इससे ओबीसी आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए। ओबीसी कार्यकर्ता सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के रक्त संबंधी के रूप में मान्यता दी गई है।

ओबीसी समुदाय के नेता चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सरकार के कदमों से उनके आरक्षण पर नकारात्मक असर पड़ता है तो वे पूरे राज्य में अनशन करेंगे।

महाराष्ट्र सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को हाके और वाघमारे से मुलाकात की और उनसे अनशन समाप्त करने या कम से कम पानी पीने का अनुरोध किया। लेकिन दोनों कार्यकर्ताओं ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

आंदोलनकारियों ने सरकार से लिखित आश्वासन देने की मांग करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण से ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने दोनों कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि मंगलवार को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में उनकी मांगों पर चर्चा की जाएगी।

हाके ने कह कि जब तक सरकार लिखित में आश्वासन नहीं देती तब तक हम अनशन समाप्त नहीं करेंगे।’ उन्होंने दावा किया कि सरकार ओबीसी आरक्षण मुद्दे की अनदेखी कर रही है। हम मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए। हाके, महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य हैं जबकि वाघमारे जालना में ओबीसी समुदाय के लोगों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था समता परिषद के अध्यक्ष हैं।

मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि ओबीसी नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं। मैंने उनके खिलाफ कुछ भी नहीं बोला है। मराठा आरक्षण के बारे में बात करने और इसकी आलोचना करने के बजाय उन्हें अपनी ऊर्जा धनगर समुदाय को एसटी वर्ग के तहत आरक्षण दिलाने पर खर्च करनी चाहिए। मराठा समुदाय भी उनके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानमंडल ने एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक को आम-सहमति से पारित कर दिया था। कुनबी, एक कृषक समुदाय है और ओबीसी वर्ग में आता है। लेकिन जरांगे मराठा समुदाय के सभी सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग कर रहे हैं।

ओबीसी नेताओं के समर्थन में पकंजा मुंडे

भाजपा नेता पंकजा मुंडे ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह ओबीसी प्रदर्शनकारी लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमारे द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों का गंभीरता से समाधान करे। हाके और वाघमरे के बिगड़ते स्वास्थ्य की ओर इशारा करते हुए मुंडे ने कहा कि सरकार को प्रदर्शनकारियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। हर किसी को अपनी बात कहने और उचित व्यवहार करने का अधिकार है।

हाके ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार मनोज जरांगे को तरजीह दे रही है जो मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं जबकि ओबीसी के लोगों की उपेक्षा कर रही है।

First Published : June 17, 2024 | 8:08 PM IST