राजनीति

अमेरिका से हथियार खरीद रोकने की खबरों से भारत का इनकार

रॉयटर्स ने खबर दी थी कि भारत ने अमेरिका से हथियार और विमान खरीदने की योजनाओं को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- August 08, 2025 | 10:19 PM IST

भारत ने अमेरिका से हथियार खरीदने के लिए जारी बातचीत रोकने की खबर को ‘बेबुनियाद’ एवं ‘मनगढ़ंत’ बताया है। शुक्रवार को एक बयान में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत रक्षा साजो-सामान की खरीद से जुड़ी कोई बातचीत नहीं रोक रहा है। अधिकारियों ने कहा कि बातचीत निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत आगे बढ़ रही है। इससे पहले रॉयटर्स ने खबर दी थी कि भारत ने अमेरिका से हथियार और विमान खरीदने की योजनाओं को फिलहाल स्थगित कर दिया है। रॉयटर्स ने यह खबर इस मामले से जुड़े तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से दी थी।

इस समाचार एजेंसी के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुछ ही दिनों के भीतर अमेरिका जाने वाले थे जहां कुछ हथियारों की खरीद की घोषणा होने वाली थी लेकिन अधिकारियों के मुताबिक उनकी यह यात्रा निरस्त कर दी गई है।

ट्रंप ने गत 6 अगस्त को भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था। यह शुल्क भारत द्वारा रूसी तेल खरीद के चलते जुर्माने के तौर पर लगाया गया था। उन्होंने कहा था कि भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद एक तरह से यूक्रेन में रूसी आक्रमण को फंड करने के समान है। इसके साथ ही अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क दर बढ़कर 50 फीसदी हो गई थी जो अमेरिका के किसी भी कारोबारी साझेदार के लिए सबसे ऊंची दरों में से एक है।

अमेरिकी राष्ट्रपति शुल्क दरों के मामले में बार-बार अपना रुख बदलत रहे हैं और दरों को घटाते-बढ़ाते रहे हैं। भारत ने कहा है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है। रॉयटर्स के अनुसार एक अधिकारी ने बताया था कि रक्षा खरीद के मामले में देश तब आगे बढ़ सकता है जब शुल्क दरों और द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में बातचीत आगे बढ़े लेकिन हाल-फिलहाल में इसकी उम्मीद नहीं दिखती।

एक अन्य अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि अमेरिका से हथियारों की खरीद रोकने के लिए कोई लिखित निर्देश नहीं दिए गए हैं। इससे संकेत मिलता है कि भारत के पास अपना रुख बदलने का विकल्प है हालांकि इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो रही है।

भारतीय और अमेरिकी रक्षा मंत्रालयों ने राॅयटर्स के सवालों के जवाब नहीं दिए। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच करीबी रिश्ते कायम हुए हैं। भारत ने कहा है कि उसे अनुचित ढंग से निशाना बनाया गया है और अमेरिका के यूरोपीय साझेदार अपने हित के मामलों में रूस के साथ कारोबार कर रहे हैं।

रॉयटर्स ने खबर चलाई थी कि जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स द्वारा बनाए गए स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और रेथियॉन तथा लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलों की खरीद को लेकर भारत के साथ चल रही बातचीत शुल्क संबंधी वजहों से रुक गई है।  रॉयटर्स ने अधिकारियों के हवाले से बताया था कि ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में इस खरीद तथा इन हथियारों के संयुक्त उत्पादन की घोषणा की थी। खबर में कहा गया था कि राजनाथ सिंह की योजना छह बोइंग पी8आई विमानों तथा नौसेना के लिए मददगार सिस्टम्स की खरीद की घोषणा करने की भी थी लेकिन अब उनकी यात्रा रद्द हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक 3.6 अरब डॉलर का प्रस्तावित विमान खरीद सौदा काफी आगे बढ़ चुका था। बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और जनरल डायनामिक्स ने पूछे गए सवालों को भारतीय और अमेरिकी सरकारों की ओर अग्रेषित किया जबकि रेथियॉन ने कोई जवाब ही नहीं दिया।

 रूस के साथ रिश्ते ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा संबंध गहरे हुए थे। ये गहराई चीन के साथ साझा रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता से उत्पन्न हुई थी और कई अमेरिकी विश्लेषकों ने इसे विदेश नीति की प्रमुख उपलब्धियों में से एक के रूप में सराहा था।

स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है और रूस पारंपरिक रूप से उसे सबसे अधिक हथियार बेचने वाला देश है। परंतु हाल के वर्षों में भारत ने फ्रांस, इजरायल और अमेरिका से हथियार खरीद शुरू कर दी थी।

ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि रूस को हथियार निर्यात करने में दिक्कत आ रही थी। वह अपने हथियारों को यूक्रेन पर आक्रमण में इस्तेमाल कर रहा है। पश्चिमी विश्लेषकों के मुताबिक कुछ रूसी हथियार मैदाने जंग में कमतर भी साबित हुए हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि भारत-अमेरिका की व्यापक रक्षा साझेदारी जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं, वे बिना किसी दिक्कत के चलते रहेंगे। दो अन्य भारतीय स्रोतों के अनुसार भारत रूस से तेल आयात कम करने को भी तैयार है और वह अमेरिका सहित कहीं और सौदे के लिए भी तैयार है बशर्ते कि उसे वही कीमत मिले जो रूस के साथ तय थी।

रॉयटर्स के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि ट्रंप की धमकियों और भारत में अमेरिकी राष्ट्रवाद के बढ़ते विरोध के कारण मोदी के लिए रूस के बजाय अमेरिका से खरीद करना मुश्किल होगा। हालांकि रूसी तेल के भारत आने पर मिलने वाली रियायत 2022 के बाद से निचले स्तर पर आ चुकी हैं।

भारत के पेट्रोलियम मंत्रालय से इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं प्राप्त हुई है। दोनों देशों के रिश्तों में भले ही अब दरार आई है लेकिन इनमें तनाव पहले से मौजूद था। भारत ने बार-बार ट्रंप के इस दावे का खंडन किया कि अमेरिका ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम करवाया जबकि दोनों देश परमाणु हथियार क्षमता संपन्न हैं। ट्रंप ने उसके तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।

First Published : August 8, 2025 | 10:19 PM IST