रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा आज शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की दिसंबर बैठक का नतीजा घोषित करेंगे। यह फैसला ऐसे समय में आ रहा है जब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि दर और बेहद कम महंगाई दर्ज कर रही है, इसलिए बाजार और अर्थशास्त्रियों की नजर इस घोषणा पर टिकी हुई है।
दिसंबर की MPC बैठक 3 से 5 दिसंबर के बीच आयोजित की जा रही है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025-26 की आखिरी MPC बैठक 4 से 6 फरवरी 2026 को होगी। इन बैठकों में ही ब्याज दरों पर निर्णय, महंगाई और वृद्धि के अनुमान तय किए जाते हैं।
गवर्नर संजय मल्होत्रा का संबोधन शुक्रवार सुबह 10 बजे लाइव प्रसारित होगा। इसे RBI के YouTube चैनल, उसके X (Twitter) अकाउंट और आधिकारिक वेबसाइट पर देखा जा सकता है। जो लोग लाइव विश्लेषण चाहते हैं, वे Business Standard पर जारी अपडेट भी फॉलो कर सकते हैं।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बैठक में रेपो रेट में किसी बदलाव की संभावना कम है और समिति अपनी नीति को यथास्थिति में ही रख सकती है। Business Standard के एक सर्वे में 12 में से 7 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आज दर कटौती की उम्मीद नहीं है। भारत की GDP ने जुलाई से सितंबर की तिमाही में 8.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है, जो पिछले साल से काफी अधिक है। वहीं, खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर 0.25 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिसका कारण सस्ती खाद्य सामग्री और हाल में हुई GST कटौती है। मजबूत वृद्धि और कम महंगाई दोनों ने RBI के फैसले को दिलचस्प बना दिया है।
अक्टूबर की बैठक में समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था और नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा था, जिसे जून में ‘accommodative’ से बदला गया था। साथ ही, समिति ने वित्त वर्ष 2025-26 की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत किया था और महंगाई के अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया था।
MPC की बैठक हर दो महीने में होती है और इसका सीधा असर आम लोगों तक पहुंचता है। बैठक में तय किया गया रेपो रेट, यानी वह ब्याज दर जिस पर RBI बैंकों को ऋण देता है, कर्ज और EMI पर सीधा प्रभाव डालता है। यदि रेपो रेट बढ़ता है तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI महंगी हो जाती है। वहीं, रेपो रेट घटने पर कर्ज सस्ता हो जाता है, लेकिन बचत और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है। इसलिए यह बैठक न सिर्फ बाजार के लिए बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होती है।