राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विपक्ष के कुछ सदस्यों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर सरकार पर निशाना साधा और मौजूदा व्यवस्था में सुधार किए जाने की मांग की ताकि व्यापारियों को परेशानियों से बचाया जा सके।
कांग्रेस सदस्य राजीव शुक्ला ने कहा कि राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य होता है और इसकी पूर्ति को सफलता माना जाता है लेकिन सरकार को यह देखना चाहिए कि यह राशि कैसे एकत्र की गयी। उसे व्यापारियों और दुकानदारों का दर्द भी देखना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जीएसटी अधिकारी धमकी देकर और परेशान कर दुकानदारों एवं व्यापारियों से अनाप–शनाप राशि लेते हैं।
उच्च सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए शुक्ला ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक होती रहती है लेकिन दुकानदारों के दुखदर्द पर विचार करने के लिए भी एक बार बैठक बुलायी जानी चाहिए। जीएसटी से होने वाली परेशानी के कारण कई बार कारोबारी या तो व्यापार नहीं बढ़ा पाते या अपना कारोबार बंद कर देते हैं। यह वर्ग रोजगार देता है और भारत 142 करोड़ लोगों का देश बन गया है। अगर लोगों को रोजगार नहीं मिला तो अपराध में भारी वृद्धि होगी।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि कई उद्योगपति देश से बाहर चले गए और वहीं कारोबार करने लगे। उन्होंने कहा कि ऐसे उद्योगपति यहां हजारों लोगों को रोजगार देते थे और अब वे बाहर रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसे उद्योगपतियों को बुलाने का प्रयास करना चाहिए और उन्हें व्यापार के लिए अनुकूल माहौल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति पर औसतन 15,000 रुपये जीएसटी बैठता है। उन्होंने चाणक्य के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि कराधान ऐसा होना चाहिए जैसे फूल से शहद निकाला जाता है।
शुक्ला ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक आवंटन किए जाने, न्यायपालिका में सुधार किए जाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि पता करना चाहिए कि समाज का कौन तबका खुश हैं? उन्होंने कहा कि यहां तक कि सांसद भी अंदर से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर इस बात पर होना चाहिए कि विभिन्न योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर पहुंचे।
चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा ने जीएसटी को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि बच्चे के पैदा होने से लेकर किसी व्यक्ति की मौत तक हर समय जीएसटी कर का भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने जीवन के आठ चरणों का जिक्र करते हुए कहा कि इस चरण में सरकार जीएसटी लेती है।
उन्होंने सवाल किया कि सरकार इतना कर लेती है लेकिन वह इस राशि का क्या उपयोग करती है। उन्होंने कहा कि कर की दर अधिक होने से कई नुकसान भी हैं। उन्होंने कहा कि इस वजह से एक ओर मांग में कमी आ रही है वहीं खपत में भी कमी आयी है जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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