जम्मू कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने संसद के मौजूदा सत्र में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल के लिए मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। रशीद आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ निचली अदालत के आदेश के खिलाफ रशीद की अपील पर 12 मार्च को सुनवायी करेगी, जिसने 10 मार्च को उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था।
अभिरक्षा पैरोल के तहत कैदी को सशस्त्र पुलिस कर्मियों द्वारा उस स्थान पर ले जाया जाता है जहां जाने के लिए उसने अनुरोध किया है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाले बारामूला के सांसद पर आतंकवाद वित्तपोषण मामले में मुकदमा चल रहा है। उनपर जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों का वित्तपोषण करने का आरोप है।
उन्होंने निचली अदालत के समक्ष इस आधार पर अभिरक्षा पैरोल का अनुरोध किया था कि एक सांसद होने के नाते उन्हें अपना सार्वजनिक कर्तव्य पूरा करने के लिए सत्र में उपस्थित होना आवश्यक है। अंतरिम राहत के तौर पर उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को उन्हें 11 और 13 फरवरी को संसद सत्र में भाग लेने के लिए दो दिन की अभिरक्षा पैरोल की अनुमति दी थी। हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी और रशीद की नियमित जमानत याचिका पर आदेश 19 मार्च को सुनाना निर्धारित किया था।
रशीद को 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए ने 2019 में गिरफ्तार किया था और तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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