किसी ने नहीं सोचा था कि एक छोटी सी बात का इतना बड़ा बखेड़ा बन जाएगा। एक राज्य सभा सदस्य अपनी पार्टी के अध्यक्ष के साथ मुलाकात के लिए महज समय मांगना चाहती थीं, मगर यह मामला आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व के बीच एक ऐसी राजनीतिक जंग में तब्दील हो गया जहां एक ओर पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल एवं वरिष्ठ नेता आतिशी हैं तो दूसरी ओर दिल्ली से राज्य सभा सदस्य स्वाति मालीवाल एवं अन्य नेता हैं।
दिल्ली विधान सभा में विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी इस चुनावी मौसम में इस मुद्दे को भुनाने के लिए कूद पड़ी है और परोक्ष रूप से कांग्रेस को भी इसमें घसीटा जा रहा है। आम आदमी पार्टी में शुरुआती दिनों से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि यह पार्टी नेतृत्व में खींचतान का मामला है।
मालीवाल ने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) में स्वयंसेवकों के संयोजक के तौर पर की थी। उस आंदोलन का नेतृत्व अन्ना हजारे ने किया था। वह उसकी मुख्य सदस्य थीं। वह उन लोगों में से भी थीं जिन्होंने उस आंदोलन को एक राजनीतिक दल में बदलने का समर्थन किया था।
आईएसी कोर कमिटी की सदस्य रह चुकीं मैराथन धावक और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता सुनीता गोदारा कहती हैं कि आईएसी के दौरान उनके कार्य और निर्भया मामले के दौरान लोगों को जुटाने की काबिलियत को देखते हुए स्वाति को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) का अध्यक्ष बनाया गया था।
गोदारा उन खिलाड़ियों में से एक थीं जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार से जुड़े मसले पर दायर की गई याचिका में अन्य बड़े खिलाड़ियों को साथ लिया था। बाद में उन्होंने आप पार्टी की शुरुआत होने पर खुद को अलग कर लिया।
गोदारा कहती हैं, ‘आप की स्थापना में मालीवाल की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए जब वह 13 मई को मुख्यमंत्री से बगैर समय लिए मिलने के लिए उनके आवास पहुंची तो मिलने से रोके जाने पर उन्हें बुरा लगा होगा।’
मालीवाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री के निजी सचिव विभव कुमार ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इसलिए कुमार के खिलाफ गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कुमार अभी हिरासत में है। दिल्ली में कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। मालीवाल ने यह भी आरोप लगाया है कि आप ने सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़छाड़ की है और असली फुटेज में उन पर हमला होते दिख सकता है। आप का कहना है कि मालीवाल बगैर समय लिए पहुंच गईं और उन्हें लगा था कि केजरीवाल उनसे अकेले मिलेंगे।
आप की महाराष्ट्र इकाई की प्रमुख प्रीति शर्मा मेनन ने कहा, ‘हम विभव को आंदोलन के दिनों से जानते हैं। वह ऐसे काम कर ही नहीं सकते हैं जो उन पर आरोप लगाए गए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘स्वाति जी को पार्टी ने सब कुछ दिया है। उन्हें दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया, राज्य सभा भेजा गया। वह अमेरिका में थीं और जब लोक सभा चुनावों के लिए अभियान शुरू हुआ तो वह काफी निष्क्रिय थीं। वह अरविंद जी पर हमले की साजिश रच रही थीं। वह सुबह 8.30 बजे अरविंद जी के आवास चली गईं क्योंकि उन्हें पता था कि विभव और अन्य लोग थोड़ी देर से आते हैं और उन्हें अरविंद जी अकेले मिल जाएंगे। यह प्रभु श्री हनुमान की कृपा थी कि विभव वहां मौजूद थे और उन्होंने ही अरविंद जी पर हमला होने से रोक दिया।’
मेनन ने कहा कि भाजपा ने केजरीवाल को एक मामले में उलझाने के अभियान के तहत मालीवाल को भेजा था मगर वह उस साजिश में विफल रहीं।
हालांकि, भाजपा का कहना है कि यह पूरी तरह बकवास है। दिल्ली भाजपा के नेता सुधांशु मित्तल ने कहा, ‘ भाजपा इतनी मजबूत नहीं है कि किसी पीड़िता को बरगला सके और उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सके। ये विरोधाभास भी स्पष्ट है। अपने पहले बयान में ही मालीवाल ने अपने ऊपर हुए हमले के लिए अरविंद केजरीवाल को ही जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन, लिखित शिकायत में उनका नाम गायब है। हमें कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। आप ने अपने को खुद फंसाया है।’
उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से बेशर्मी है। हमने आप के सांसद संजय सिंह को यह कहते सुना है कि विभव कुमार ने जो किया वह गलत है और उसकी जांच की जानी चाहिए। इसके लिए सिंह ने खास तौर पर संवाददाता सम्मेलन भी किया था। फिर भी दिल्ली सरकार की मंत्री और आप की वरिष्ठ नेत्री आतिशी सहित पार्टी के अन्य नेता अब यह कह रहे हैं कि मालीवाल ने पहले बदतमीजी की थी। हम किस पर विश्वास करें। पीड़ित पर या अपराधी पर। मालीवाल पीड़िता हैं फिर भी आप नेता अपराधी के साथ हैं।’
आप के सूत्रों ने कहा कि इस पूरे मसले पर संजय सिंह का हस्तक्षेप जल्दबाजी में लिए गए फैसले के कारण हुई गलती थी और उन्होंने स्वीकार किया कि इससे उनका मामला कमजोर हुआ है।
गोदारा का कहना है कि केजरीवाल ऐसे लोगों को नापसंद करते हैं जो उनसे ज्यादा निपुण, अधिक बुद्धिमान और ज्यादा पढ़े-लिखे हों। वह उन्हें खतरा मानते हैं। गोदारा का मानना है कि मालीवाल की प्रतिक्रिया भी किसी अन्य कारण से हो सकती है।
कहा जा रहा है कि केजरीवाल ने मालीवाल को राज्य सभा से इस्तीफा देने के लिए कहा (वैसे उनका कार्यकाल 2030 में समाप्त होगा) ताकि उनकी जगह एक वकील को राज्य सभा सदस्य बनाया जा सके, जो केजरीवाल और उनके सहयोगियों के सभी कानूनी मसले संभाल रहे हैं। केजरीवाल की पसंद कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी हो सकते हैं, जो हाल ही में हिमाचल प्रदेश से राज्य सभा चुनाव हार गए थे।
मगर सिंघवी ने इसे अफवाह और अटकलबाजी बताकर खारिज कर दिया। सिंघवी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह इतना हास्यास्पद है कि इस पर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं बनती है। एक टीवी चैनल के तथाकथित एंकर ने ऐसी आधारहीन अटकलें लगाई और फिर अन्य लोगों ने भी इसे लपक लिया क्योंकि ऐसी बातें सभी को पसंद आती हैं। मेरे लिए इतना कुछ किया गया, और मुझसे ही नहीं पूछा गया और न ही मुझे इस बारे में कोई जानकारी है। ‘
दिल्ली में 25 मई को लोक सभा चुनाव के लिए मतदान होना है। केजरीवाल के 2 जून को जेल जाने से पहले ये एक ऐसा मसला है जिस पर आप को कुछ करना ही होगा क्योंकि इससे नेतृत्व संकट भी मंडराने लगा है।