पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव और महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति में पतंजलि संस्थान का 30वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। यह कार्यक्रम हरिद्वार स्थित पतंजलि वैलनेस के योगभवन सभागार में हुआ। इसमें पतंजलि संगठन के 6000 से अधिक प्रभारी उपस्थित रहे।
स्वामी रामदेव ने 30 वर्षों के सेवा, संघर्ष और साधना के सफर पर प्रकाश डालते हुए भविष्य की योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने पांच बड़ी क्रांतियों का शंखनाद किया, जो शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक और नशा-मुक्ति से जुड़ी हैं।
पहली क्रांति: शिक्षा की आजादी
स्वामी रामदेव ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे सुधारने का संकल्प लिया।
अगले पांच वर्षों में 5 लाख विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड (Bharatiya Shiksha Board) से जोड़ा जाएगा।
नई शिक्षा प्रणाली में वेद, उपनिषद, पुराण और भारतीय दर्शन को 80% तक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
छात्रों को केवल शब्द ज्ञान नहीं, बल्कि विषयबोध, आत्मबोध, भारतबोध और गौरव बोध कराया जाएगा।
छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप जैसे नायकों का सही इतिहास पढ़ाया जाएगा, जबकि विदेशी आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की झूठी महानता को हटाया जाएगा।
पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् और पतंजलि विश्वविद्यालय नई शिक्षा प्रणाली को दिशा देंगे।
दूसरी क्रांति: चिकित्सा की आजादी
स्वामी रामदेव ने कहा, “रोग हमारा स्वभाव नहीं, योग ही हमारा स्वभाव है,”
पतंजलि वैलनेस, योगग्राम और निरामयम जैसे केंद्र चिकित्सा सेवाएं देंगे।
अब तक 5000 से अधिक रिसर्च प्रोटोकॉल और 500 से ज्यादा शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित किए गए हैं।
आधुनिक विज्ञान के साथ आयुर्वेद और योग को मिलाकर असाध्य बीमारियों का समाधान प्रस्तुत किया गया है।
पतंजलि का उद्देश्य रोगी बनने से रोकना और योग-आयुर्वेद से इलाज करना है।
तीसरी क्रांति: आर्थिक आजादी
स्वामी रामदेव ने कहा कि दुनिया में कुछ मुट्ठीभर लोगों ने अर्थव्यवस्था को अपने पंजों में जकड़ रखा है।
स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देकर आर्थिक गुलामी और लूट से आजादी दिलाई जाएगी।
पतंजलि ने अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण में 1 लाख करोड़ रुपये की चैरिटी की है।
25 लाख से अधिक प्रशिक्षित योग शिक्षक और 1 करोड़ कार्यकर्ता राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं।
हर साल बीपी, शुगर, थायरॉइड, अस्थमा और अन्य बीमारियों से जुड़ी दवाओं पर खर्च होने वाले 100 से 200 लाख करोड़ रुपये बचाए जा रहे हैं।
चौथी क्रांति: वैचारिक और सांस्कृतिक आजादी
भारत को वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया गया है।
सनातन धर्म, वेद धर्म और योग धर्म को युगधर्म के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
500 करोड़ से अधिक लोग योग और सनातन धर्म में आस्था रखते हैं।
स्वामी रामदेव ने कहा कि धन केवल पैसा नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, सुखी परिवार, योगधन और दैवीय संपदा ही असली धन है।
पांचवी क्रांति: नशा, रोग और अश्लीलता से आजादी
भारत में नशे और अश्लीलता का खतरनाक स्तर पहुंच चुका है।
पतंजलि का उद्देश्य नशा, रोग और अश्लीलता से मुक्ति दिलाकर आदर्श नागरिक तैयार करना है।
30 वर्षों की उपलब्धियां और आगे का रोडमैप
पतंजलि ने 500 से अधिक विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों की टीम के साथ आधुनिक रिसर्च की है।
एलोवेरा जूस, गिलोय रस, आँवला जूस और अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों को वैज्ञानिक आधार पर विकसित किया गया है।
दुनिया के 200 से अधिक देशों में पतंजलि के योग और आयुर्वेदिक उत्पाद पहुंच चुके हैं।
पतंजलि का 100% प्रॉफिट चैरिटी में जाता है।
आचार्य बालकृष्ण का संदेश
आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “पतंजलि भारत के लिए केवल बाजार नहीं, बल्कि परिवार है। स्वामी जी के पुरुषार्थ से पतंजलि ने योग और आयुर्वेद को गुफाओं से निकालकर हर घर तक पहुंचाया है। पतंजलि का मिशन शिक्षा, चिकित्सा और राष्ट्र निर्माण के जरिए भारत को परम वैभवशाली बनाना है।”
स्वामी रामदेव और पतंजलि का यह संकल्प भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के क्षेत्रों में आत्मनिर्भर और वैभवशाली बनाने का है। 30 वर्षों की यात्रा के बाद, पतंजलि अब नई क्रांतियों के साथ भारत को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है।
Disclaimer: यह प्रायोजित सामग्री है। इसके लेखन में बिज़नेस स्टैंडर्ड के किसी पत्रकार की कोई भूमिका नहीं है। इसे विज्ञापन मानकर ही पढ़ें।