चीन के सामान का भय अब उत्तर प्रदेश कपड़ा समिति को भी सताने लगा है। कपड़ा मंत्रालय की कपड़ा समिति देश की परंपरागत कला और शिल्प को बचाने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
मंत्रालय ने पारंपरिक उत्पादों के लिए बौध्दिक संपदा अधिकार (आईपीआर) संरक्षण को हासिल करने की जुगत में है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) के सहयोग से कपड़ा समिति एक परियोजना को लागू करना चाहती है, जिसके तहत भारत के वस्त्र उद्योग के कारोबार और वैश्वीकरण के लिए रणनीति बर्नाई जाएगी।
एक आंकड़े के मुताबिक कपड़ा क्षेत्र में करीब 200 उत्पाद ऐसे हैं जिसे इस कानून के अंतर्गत सुरक्षा मुहैया कराने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश के रेशम और कपड़ा मंत्री जगदीश नारायण राय ने बताया, ‘वस्त्र उद्योग के मामले में चीन हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है। साथ ही यह हमारे कारीगरों के लिए बहुत खतरा है। हमें निर्माताओं को उनके द्वारा उत्पादित विशिष्ट उत्पादों के लिए संवेदनशील बनाने की जरूरत है।’
राज्य में 50 से भी अधिक ऐसे उत्पाद (कृषि और वस्त्र क्षेत्रों से) हैं, जिसे भौगोलिक संकेत (जीआई) के तहत सुरक्षा प्रदान किया जा सकता है।