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उप्र को संचार क्रांति की जरूरत

Last Updated- December 07, 2022 | 8:00 PM IST

संचार क्रांति ने जहां एक ओर देश में धूम मचा रखी है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश (एनसीआर) आज भी सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति से जद्दोजहद करता नजर आ रहा है।


भविष्य की अच्छी संभावनाओं की कमी के चलते राज्य के ज्यादातर आईटी विशेषज्ञ दूसरे राज्यों और शहरों में जैसे महाराष्ट्र, नई दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु की ओर जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में ही हर साल 75000 छात्र इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करते हैं। देश की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों में काम करने वाले इंजीनियरों में से 12 फीसदी उत्तर प्रदेश से ही होते है।

देश की चुनिंदा संचार कंपनियां जैसे एचसीएल, टीसीएस, न्यूजेन, बिरलासॉफ्ट, एडोब, टाटा सीएमसी और इन्फोगेन उत्तर प्रदेश में है। लेकिन इनकी उपस्थिति केवल एनसीआर क्षेत्र तक ही सीमित है। हाल ही में लखनऊ में नैसकॉम द्वारा आयोजित किये गये एक सेमिनार में आईटी इंडस्ट्री के लिए अच्छी बुनियादी सुविधाओं वाले सात शहरों के बाद स्थान दिया है।

देश के प्रमुख सात आईटी शहरों के बाद लखनऊ को ‘चैलेंजर’ नाम की श्रेणी में चिह्नित किया गया है। इन शहरों में लखनऊ को स्थान देने के लिए 50 से ज्यादा लोकेशन में अध्ययन कराया गया है। इस अध्ययन के अंतर्गत शहर में ज्ञान की उपलब्धता, संचार कौशल, बुनियादी ढांचा, सामाजिक और मानवीय ढांचा, कारोबारी वातावरण और सरकार व प्रशासन के रुख को ध्यान में रखा गया है।

लेकिन राज्य में राजनैतिक अस्थिरता, कानून और प्रशासन की स्थिति को देखते हुए यहां आईटी कंपनियां उतनी ज्यादा रुचि नहीं दिखा पा रही है। नैसकाम के अध्यक्ष सोम मित्तल का कहना है कि राज्य में आईटी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नीतियों के निर्धारण और इनके क्रियान्वयन के बीच अंतर को जल्द से जन्द समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए जमीनी स्तर पर हमें कार्य शुरु कर देने चाहिए।

उत्तर प्रदेश की स्थिति को स्पष्ट करते हुए नटराजन ने कहा कि यहां पर आईटी इंडस्ट्री के विकास के कई सकारात्मक पहलू हैं। राज्य का बुनियादी ढांचा, शिक्षा का प्रसार और सुविधाएं भी है। अब जरुरत एक बाजार की है ताकि राज्य में निवेश के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का ध्यान आक र्षित किया जा सके।

First Published - September 5, 2008 | 9:51 PM IST

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