प्रदेश में आवासीय व वाणिज्यिक परियोजनाओं के पूरा होने में देरी, रियल्टी कंपनियों के दिवालिया होने और भूखंडों कीमत जमा न होने को योगी आदित्यनाथ सरकार ने गंभीरता से लिया है।
उत्तर प्रदेश ने रियल एस्टेट क्षेत्र की दिक्कतें दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का फैसला किया है। बिल्डरों पर प्राधिकरणों के बकाया को देखते हुए भी कार्रवाई शुरू की गई है। हाल ही में यमुना प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा के 8 बिल्डरों के 9 भूखंड निरस्त किए हैं और उनकी 28 करोड़ रुपये की जमाराशि भी जब्त की है। प्राधिकरण ने 2.5 लाख वर्गमीटर का आंवटन रद्द किया है जिसके एवज में प्राधिकरण का करीब 7500 करोड़ रुपये बकाया था। आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर के कई बड़े बिल्डरों के दिवालिया होने को प्रदेश सरकार ने संज्ञान में लिया है। बिल्डरों के दिवालिया होने से फ्लैट खरीदारों के समक्ष उत्पन्न हुई दिक्कतों के आकलन के लिए सरकार ने तय किया है कि एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए, ताकि खरीदारों के हितों की रक्षा की जा सके।
गौरतलब है कि देश में रियल एस्टेट सेक्टर के कई प्रमुख बिल्डर दिवालिया होने की कगार पर खड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी दिवालिया हो रहे बड़े बिल्डरों की सूची लंबी होती जा रही है। इसकी शुरुआत आम्रपाली समूह के दिवालिया होने से हुई थी। कुछ वर्षों के दौरान नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के एक दर्जन से अधिक बड़े-छोटे बिल्डरों को दिवालिया घोषित करने का आदेश जारी किया है। यूनिटेक, सहारा, जेपी जैसे बड़े बिल्डर देखते ही देखते दिवालिया घोषित हो गए। इसी क्रम में बीते एक ह ते में एनसीएलटी ने सुपरटेक बिल्डर और लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आदेश जारी करते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि रियल एस्टेट रेग्युलेशंस ऐक्ट (रेरा) जैसी व्यवस्था है तो फिर बड़े बिल्डर क्यों और कैसे दिवालिया हो रहे हैं।
