उत्तर प्रदेश औद्योगिक सलाहकार लिमिटेड (यूपीआईसीओ) राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्राजीलियाई शहर साउ पाउलो में एक डिस्प्ले सेंटर और वेयरहाउस स्थापित करने की योजना बनाई है।
यूपीआईसीओ उत्तर प्रदेश सरकार का प्रमुख सलाहकार संगठन है। अधिकारियों का दावा है कि इस डिस्प्ले सेंटर की स्थापना से खासतौर से छोटे निर्यातकों को काफी फायदा मिलेगा, जो फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को प्रदर्शित नहीं कर पाते हैं और कारोबारी सौदों से वंचित रह जाते हैं।
भारत और ब्राजील के बीच हैंडीक्राफ्ट, कपड़ा, सिले-सिलाए कपड़े, आटो पाट्र्स, एग्रो केमिकल्स और इलेक्ट्रानिक उत्पादों के व्यापार की काफी संभावनाएं हैं। यूपीआईसीओ इस डिस्प्ले सेंटर की स्थापना केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय की मदद से करेगी। इस सेंटर के जरिए भारतीय कंपनियों नियमित रूप से अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकेंगी।
यूपीआईसीओ पिछले पांच वर्षो से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों और खरीददार-विक्रेता सम्मेलनों का आयोजन करा रहा है। भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में ऐसे 20 मेलों का आयोजन किया जा चुका है। ऐसे तीन मेले ब्राजील में हुए हैं। यूपीआईसीओ के महाप्रबंधक पी के श्रीवास्तव ने बताया कि ‘इससे बिजनेस आर्डर मिलेंगे।’
उन्होंने बताया कि ‘देखा गया है कि भरोसे की कमी के कारण आयातक नए भारतीय निर्यातकों में अधिक दिलचस्पी नहीं लेते हैं। इस माध्यम के जरिए सदस्य निर्यातक अपने भरोसे के बना सकेंगे क्योंकि सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी ब्राजील के खरीदारों के संपर्क में रहेंगे।’ यूपीआईसीओ द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्राजील और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2006 में 2.4 अरब डालर था।
इस अवधि के दौरान भारत से ब्राजील को किया जाने वाला निर्यात 1.47 अरब डालर था जबकि ब्राजील से भारत को 93.7 करोड़ डालर का निर्यात किया गया। इसके अलावा संगठन ब्राजील से मिले फीडबैंक के आधार पर उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सुझाव देगा। इसके अलावा भारतीय कारोबारियों को अंतरराष्ट्रीय कारोबारी परिदृश्य से अवगत कराया जाएगा।
मिशन ब्राजील
डिस्प्ले सेंटर की स्थापना के लिए केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय देगा मदद
ब्राजील में होगा व्यापार मेलों का आयोजन
भारत और ब्राजील के बीच आपसी व्यापार 2006 में 2.4 अरब डालर था
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए फियो को न्योता
उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) को अपनी निर्यात गतिविधियों की जिम्मेदारी संभालने का न्योता दिया है ताकि राज्य से किए जाने वाले निर्यात में तेजी लाई जा सके। इसके लिए फियो ने लखनऊ स्थित निर्यात संवर्धन ब्यूरो (ईपीबी) के साथ एक समझौता किया है।
फियो के अध्यक्ष आर के धवन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘हम इस पेशकश पर विचार कर रहे हैं और राज्य सरकार को जल्द ही प्रस्ताव देंगे। इसके बाद हम राज्य में विकास गतिविधियों की शुरुआत करेंगे।’ उन्होंने बताया कि, ‘इसमें विदेशी प्रतिनिधियों को राज्य की यात्रा और विभिन्न क्लसटर के दौरे के लिए आमंत्रित करना शामिल हैं। हम विनिर्माताओं और इच्छुक खरीदारों को मिलाने का काम करेंगे।’
उत्तर प्रदेश से वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान कुल 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान निर्यात को बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने बताया कि ‘चिकन और लखनवी जरदोजी के लिए उत्तर प्रदेश पहले ही दुनिया भर में मशहूर है। हालांकि अब हमारा लक्ष्य दूसरे हस्तशिल्प उत्पादों को बारे में जागरुकता पैदा करना है।’
एक अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 22 लाख कारीगर हैं और भारत के कुल हस्तशिल्प निर्यात में करीब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। उत्तर प्रदेश में बने धातु के बर्तन, हाथ की बनी कालीन और अन्य टेक्सटाइल, जरी, चिकन और सेरेमिक उत्पादों के लिए विदेश में अच्छा-खासा बाजार तैयार हो सकता है। राज्य के जिन लोक उद्योगों के निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा उनमें फिरोजाबाद का कांच उद्योग, अलीगढ़ का ताला उद्योग, आगरा का मार्बल उद्योग और गोरखपुर के मिट्टी के बर्तन और खिलौने शामिल हैं।