facebookmetapixel
सरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोकEditorial: वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम मोड़भारत की एफडीआई कहानी: विदेशी निवेशकों को लुभा सकते है हालिया फैक्टर और मार्केट सुधारभारत की हवा को साफ करना संभव है, लेकिन इसके लिए समन्वित कार्रवाई जरूरीLuxury Cars से Luxury Homes तक, Mercedes और BMW की भारत में नई तैयारीFiscal Deficit: राजकोषीय घाटा नवंबर में बजट अनुमान का 62.3% तक पहुंचाAbakkus MF की दमदार एंट्री: पहली फ्लेक्सी कैप स्कीम के NFO से जुटाए ₹2,468 करोड़; जानें कहां लगेगा पैसाYear Ender: युद्ध की आहट, ट्रंप टैरिफ, पड़ोसियों से तनाव और चीन-रूस संग संतुलन; भारत की कूटनीति की 2025 में हुई कठिन परीक्षाYear Ender 2025: टैरिफ, पूंजी निकासी और व्यापार घाटे के दबाव में 5% टूटा रुपया, एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बनाStock Market 2025: बाजार ने बढ़त के साथ 2025 को किया अलविदा, निफ्टी 10.5% उछला; सेंसेक्स ने भी रिकॉर्ड बनाया

शिमला में पानी की किल्लत से परेशानी

Last Updated- December 05, 2022 | 9:20 PM IST

तापमान के परवान चढ़ने के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोग गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए शिमला जैसी ठंडी जगह की ओर रुख करते हैं।


मेहमानों के स्वागत में वहां के होटल व्यवसायी भी पलके बिछाए इंतजार करते हैं। लेकिन शिमला में लगातार गहरा रहे पानी के संकट से वहां के होटल उद्योग को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।


इस वक्त अधिकतर होटल मालिक प्रदेश में पानी की किल्लत को लेकर बेहद दुखी हैं। ज्यादातर होटल मालिकों ने बताया कि हर साल पर्यटक मौसम में ही पानी का संकट गहराता है और इस साल भी यही आशंका बनी हुई है। जहां प्रति दिन 4 करोड़ लीटर पानी की जरूरत पड़ती है, वहां सिर्फ 3 करोड़ लीटर पानी ही प्रति दिन मुहैया कराया जा रहा है।


होटल एसोसिएशन ऑफ शिमला के अध्यक्ष हरनाम सिंह कुकरेजा ने बताया कि शिमला में होटल इंडस्ट्री के लिए पानी एक गंभीर समस्या है। खासकर हम लोगों को सैलानियों के आने वाले मौसम में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। यहां के होटल मालिकों को पानी की कमी से निपटने के लिए अपनी जेब से खर्च को मजबूर होना पड़ता है।


यही नहीं पानी की किल्लत का सामना करने के लिए प्रदेश के कुछ होटल, खासकर पर्यटन मौसम के दौरान टैकरों द्वारा पानी की व्यवस्था करते हैं। शिमला स्थित होटल लॉर्ड ग्रे के मोहिंदर कुमार सेठ ने बताया, ”शिमला के करीब 99 फीसदी होटल ऐसे हैं, जो पानी की ऑउटसोर्सिंग कराते हैं यानी बाहर से पानी मंगवाते हैं।


निजी व्यवस्था कर होटल मालिक टैंकरों से पानी मंगवाते हैं। एक टैंकर पानी मंगवाने के लिए होटल मालिकों को औसतन 1000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।” क्योंकि पानी की खरीद के लिए होटल मालिकों को अपनी जेब से कीमत चुकानी पड़ती है, इस वजह से इसका स्पष्ट असर उनके मुनाफे मार्जिन पर भी पड़ता है।


पानी की किल्लत से निजात पाने की दिशा में होटल हिमलैंड ईस्ट के मालिक उमेश अर्के ने सुझाया कि पानी की समस्या को सरल बनाने से ही पानी की समस्या दूर होगी और शहर के होटल इंडस्ट्री में बूम आएगा।


प्रदेश में अन्य होटल मालिकों का भी मानना है कि अगर पानी की समस्या पर सही तरीके से कदम उठाया जाता है तो उससे न सिर्फ होटल इंडस्ट्री को निजात मिल पाएगा बल्कि उनके मुनाफे मार्जिन को भी बढ़त मिलेगी। लिहाजा होटल मालिक प्रदेश में आने वाले सैलानियों के लिए अन्य सुविधाएं भी मुहैया करा सकेंगे।


पानी की समस्या को लेकर होटल इंडस्ट्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रेम कुमार धूमल ने हाल ही में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। धूमल ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री से यह आश्वासन मिला है कि जल्द ही पानी की समस्या से निजात दिलाई जाएगी।


मुख्यमंत्री ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि वे जल्द ही गिरि वॉटर सप्लाई योजना को शुरू करेंगे, जिससे शिमला में पानी की समस्या पर काबू पाया जा सके।

First Published - April 13, 2008 | 11:14 PM IST

संबंधित पोस्ट