राज्यों के राजस्व को बरकरार रखने के लिए अगले साल अप्रैल से लागू होने वाले सामान एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से शराब को बाहर रखा जा सकता है।
जबकि तंबाकू को इसके दायरे में रखा जा सकता है लेकिन केंद्र अपने राजस्व को बचाए रखने के लिए उस पर उत्पाद शुल्क लगा सकता है। राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के सब पैनल ने ये सुझाव दिए हैं।
समिति केंद्र सरकार के साथ सलाह मशविरा कर देश भर के राज्यों में दोहरे जीएसटी मॉडल को अंतिम रूप दे रही है। अधिकार प्राप्त समिति केंद्र और राज्य के आर्थिक मामलों पर फैसले लेने वाली सर्वोच्च समिति है। इस समिति में वित्त मंत्रालय की ओर से भी एक प्रतिनिधि रहता है।
जीएसटी मॉडल में केंद्र और राज्य दोनों के ही पास उत्पाद और सेवाओं के हर स्तर पर शुल्क लगाने के अधिकार होंगे। यह शुल्क दर सभी राज्यों में बराबर ही रहेगी और इसमें राज्य और केंद्र की हिस्सेदारी होगी।
जबकि पेट्रोलियम उत्पादों को पहले ही जीएसटी दायरे से बाहर रखा गया है। शुल्क से होने वाली कमाई में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी होती है। जीएसटी की दर 16 फीसदी के आसपास ही रहने की संभावना है।
हालांकि अल्कोहल और तंबाकू की राज्यों के राजस्व में कितनी हिस्सेदारी है, इस बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। फिलहाल, शराब पर राज्यों में लगभग 20 फीसदी की दर से कर लगता है। जबकि कई राज्यों में तो यह दर इससे भी अधिक करीब 36 फीसदी तक रहती है।
कई राज्यों के लिए तो यह राजस्व क माने का अच्छा जरिया भी है। एक राज्य मंत्री ने बताया, ‘कई राज्यों की कमाई को देखते हुए शराब को जीएसटी सूची से बाहर रखा जा सकता है।’
राज्य कर अधिकारियों की समिति ने भी यही सुझाव दिया था कि शराब को इस सूची से बाहर रखा जाए।
राज्य शराब निर्माताओं और वितरकों से लाइसेंस फीस भी वसूलते हैं। यही वजह हैकि राज्य सरकार शराब को इस सूची से बाहर रखने पर जोर दे रही हैं। जबकि तंबाकू के मामले में समिति ने सुझाव दिया है कि लागत पर कर छूट देने की शर्त के साथ इसे जीएसटी सूची में शामिल किया जाए।
हालांकि केंद्र के पास इस पर कर वसूलने की छूट होगी। राज्य स्तर पर तंबाकू पर 12.5 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है। जबकि केंद्र इस पर अपनी सुविधा के अनुसार ही कर लगाती है।
हालांकि बिजली जैसे कुछ ऐसे उत्पाद भी हैं जिनपर केंद्र और राज्य सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। इन उत्पादों के बारे में अभी कोई निर्णय लिया जाना बाकी है।
जीएसटी मॉडल बन कर पूरी तरह तैयार है और इसे अब सिर्फ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंजूरी का ही इंतजार है। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक इस मॉडल को मंजूरी मिल जाएगी।
समिति के सुझाव
जीएसटी मॉडल में केंद्र और राज्य दोनों ही के पास होंगे उत्पाद और सेवा पर शुल्क लगाने के अधिकार
सरकार तंबाकू पर कर में छूट देकरइसे ला सकती है जीएसटी के दायरे में