उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर तकरार हुई। नेता विपक्ष अखिलेश यादव ने बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जमकर हमला बोला तो मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए पूर्व की समाजवादी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया।
मॉनसून सत्र के दूसरे दिन स्वास्थ्य सेवाओं पर चर्चा कराने को लेकर सपा सदस्यों ने थोड़ा हंगामा किया और वेल में आ गए। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप है जिस पर पहले चर्चा हो। विधानसभा अध्यक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए इनकार किया तो सपा सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करते हुए हंगामा करने लगे और कार्यवाही बाधित हुई।
इस दौरान सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। बाद में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रश्न काल के बाद चर्चा कराने पर सपा मान गई और 15 मिनट देरी से प्रश्नकाल शुरू हो पाया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता विपक्ष अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य के साथ ही कई अन्य मुद्दे भी उठाए। उन्होंने हिरासत में हो रही मौतों से लेकर प्रदर्शन करने व काला झंडा दिखाने वालों की गिरफ्तारी तक पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि आज स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। लोगों को एंबुलेंस, ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है जबकि गरीबों के लिए इसकी शुरुआत की गई थी। सपा मुखिया ने कहा कि प्रदेश भर में दवाओं का संकट है और बहुत सी जगहों पर मरीजों के इलाज व स्ट्रेचर न मिलने की खबरें सामने आई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिया और कंधे व मोटरसाइकिलों पर लाशों को लेकर जाना पड़ा। अखिलेश यादव ने कहा कि निजीकरण के जरिए सरकारी संस्थाओं को बंद करने की कोशिश चल रही है। सरकारी अस्पताल ही निजी अस्पतालों में मरीज भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में बच्चों के लिए अस्पताल व एम्स के लिए समाजवादी सरकार ने जमीन दी थी। उनकी सरकार में जितने मेडिकल कॉलेज बन गए उससे आगे काम नहीं बढ़ पाया है।
पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा कि नेता प्रतिपक्ष दूसरों को उपदेश दे रहे हैं पर वास्तविकता यह है कि प्रदेश में चार बार उनकी सरकार रही है पर इस दौरान एनीमिया, मातृ-शिशु दर में बढ़ोतरी ही हुई। उन्होंने कहा कि गोरखपुर व आसपास के इलाकों में इस मौसम में इंसेफलाइटिस की वजह से भय बना रहता है और 1,200-1,500 मौतें होती थीं। यह डबल इंजन सरकार के कामों का नतीजा है कि आज इंसेफलाइटिस से मौतें जीरो हो गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी सरकारों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंदी के कगार पर थे और डॉक्टरों की कमी थी। आज सरकार के प्रयासों के चलते एंबुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम में कमी आई है व हर जिले में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। कोरोना काल पर अखिलेश के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय कहां गायब थे कि दिखाई भी नहीं दिए थे।
इसके बाद सपा के विधायकों ने कानून व्यवस्था पर भी चर्चा की मांग उठाते हुए वेल में धरना देना शुरु कर दिया। हंगामा थमते न देख कर विधानसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।