महाराष्ट्र में किसान आजकल एक अजीब सी समस्या से रूबरू हैं। कर्ज माफी और कर्ज राहत योजना के बाद वे ताजा ऋण ले सकते हैं लेकिन सहकारी बैंकों के पास नकदी की कमी होने के कारण शायद ही उन्हें ताजा कर्ज मिल सकेगा।
किसान मुख्यत: सहकारी बैंकों से ही कर्ज लेते हैं। बीते वित्त वर्ष के दौरान बड़ी मात्रा में कर्ज न चुकाए जाने और चालू वित्त वर्ष में करीब 9,500 करोड़ रुपये की ताजा कर्ज मांग के कारण सहकारी बैंकों को नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने कृषि और ग्रामीण विकास के राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड) के सामने नकदी की समस्या के मसले को उठाया है। इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और नाबार्ड के अध्यक्ष उमेशचंद्र सारंगी मौजूद थे। महाराष्ट्र में सहकारी बैंकों का तगड़ा जाल फैला हुआ है और करीब 75 से 80 प्रतिशत तक कृषि ऋण सहकारी बैंकों और प्राथमिक ऋण सहकारी सोसाइटी के जरिए ही दिया जाता है।
राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते दो वित्त वर्षो के दौरान कृषि ऋण का वितरण 6,000 करोड़ रुपये से 6,500 करोड़ रुपये के बीच रहा है लेकिन इस साल करीब 30 लाख किसान नया कर्ज पाने के हकदार बन गए हैं। इस कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान कर्ज का वितरण बढ़कर 9,500 करोड़ रुपये हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कर्ज माफी की प्रक्रिया के पूरा होने और केन्द्र सरकार द्वारा इसका पुनर्भुगतान किए जाने के लिए हमें सितंबर तक इंतजार करना होगा। तब तक खरीफ सत्र खत्म हो चुका होगा। उन्होंने कहा कि ‘हमने नाबार्ड से कहा है कि सहकारी बैंकों को तत्काल नकदी मुहैया कराई जाए।