अन्य समाचार

बंदरगाहों के विस्तार के लिए सरकार की नई रणनीति: सॉल्ट लैंड का होगा उपयोग

देश के प्रमुख बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तटीय क्षेत्रों की अनुपयोगी भूमि का किया जाएगा उपयोग।

Published by
ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- February 25, 2025 | 10:54 PM IST

पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने ढांचागत विकास के लिए भारत के तटीय क्षेत्र के निचले इलाकों में बड़े भूखंड (साल्ट लैंड) उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। मंत्रालय देश के बड़े बंदरगाहों और लॉजिस्टिक सुविधाओं में ढांचागत सुविधाओं का विस्तार करना चाह रहा है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।

पिछले साल उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों और राज्य सरकारों को इस्तेमाल नहीं हुए एवं गैर-उत्पादक साल्ट लैंड का उपयोग करने के लिए कहा था। इस बारे में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘देश में बंदरगाहों के विकास की भरपूर संभावनाएं हैं और सरकार इस पर विचार भी कर रही है। मगर शुरुआती चरणों में जमीन की कमी चिंता का कारण था।

देश के कुछ बंदरगाहों के पास विस्तार के लिए अब जमीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आगे कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। इन बंदरगाहों के आस-पास संबद्ध उद्योग भी स्थापित हो चुके हैं जिससे जमीन अधिग्रहण पर आने वाला खर्च खासा बढ़ गया है। इससे बंदरगाहों पर ढांचागत विस्तार से जुड़ी पूरी प्रक्रिया पेचीदा हो गई है।’

जहाजरानी मंत्रालय ने समुद्री भूमि के स्थानांतरण के लिए डीपीआईआईटी के प्रस्ताव का अध्ययन किया है और महाराष्ट्र और तमिलनाडु सहित देश के कई अन्य तटीय राज्यों में ऐसे भूखंडों का प्रस्ताव दिया है। इस बारे में एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘भूखंड धीरे-धीरे उपलब्ध भी होने लगे हैं। ओडिशा से इसकी शुरुआत हो चुकी है और आने वाले समय में मंत्रालय को और जमीन आवंटित की जाएगी।‘

इस बारे में जहाजरानी मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया था। डीपीआईआईटी ने लगभग 60,000 एकड़ इस्तेमाल नहीं हुई एवं अनुत्पादक जमीन के सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल से जुड़े दिशानिर्देश जारी किए थे। ये भूखंड आसान शर्तों पर केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों को विभिन्न राष्ट्रीय विकास परियोजनाओं के लिए दिए जाएंगे। वाणिज्य मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 को एक बयान में कहा था, ‘इसमें जैव-विविधता संरक्षण, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील परियोजनाओं, नवीकरणीय ऊर्जा और सस्ते आवास सहित अन्य उद्देश्यों के लिए भूखंड का स्थानांतरण शामिल हैं।‘

सरकार इस्तेमाल नहीं हुए ऐसे भूखंडों का जायजा लेगी और मल्टी मोडल लॉजिस्टिक टर्मिनल, भंडारण एवं परिवहन सुविधाएं और बड़े बंदरगाहों के लिए सहायक बंदरगाह विकसित करने पर विचार करेगी।

महाराष्ट्र में 5,000 एकड़ से अधिक भूखंडों पर व्यावसायिक इकाइयों की नजर रही है मगर पहले ये उपलब्ध नहीं थे। मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार निजी कंपनियां ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में जमीन खरीद सकती है बशर्ते केंद्र सरकार, सीपीएससी और राज्य सरकारें इन्हें निर्धारित दरों पर लेने के लिए तैयार न हों।

First Published : February 25, 2025 | 10:54 PM IST