आम लोगों के बीच में अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए कांग्रेसी ‘जय हो’ चुनावी विज्ञापन की हवा निकालने के लिए भाजपा का ‘भय हो’ सामाजिक मीडिया अभियान इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेस जय हो को जहां सुपर हिट करार दे रही है वही भाजपा भय हो को सच्चाई बयान करने में सफल मान रही है।
कांग्रेस के चुनावी विज्ञापन का बीडा उठाने वाली डिजिटल कंपनी इग्नाइटी डिजिटल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अतुल हेगड़े के अनुसार जय हो के मुख्य वीडियो की ओर लोगों को आकर्षित करने के लिए रणनीतिक रूप से ऑर्कुट, फेसबुक, और रीडिफ आईशेयर नामक सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल किया है।
अतुल ने बताया कि यह अभियान काफी प्रभावी रहा है। एक सप्ताह के अंदर इस अभियान को 50,000 से अधिक बार इन साइटों पर देखा गया है और आने वाले समय में आंकड़े और भी बेहतर होंगे। उनके अनुसार वेब साइटों के अलावा विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर जय हो विज्ञापन की गूंज देखने को मिल रही है जिसका फायदा पार्टी को जरूर मिलेगा।
दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस की पांच साल की नाकामियों को दर्शाने के लिए भय हो को जोर शोर से प्रचारित कर रही है। भाजपा को चुनावी विज्ञापन में बाजी मारने के लिए विज्ञापन कंपनी यूटोपिया कंसल्टिंग ने जिम्मेदारी ली है। कंपनी ने कांग्रेस के जय हो की काट में भाजपा के लिए भय हो गाने को बनाया है।
भय हो गाने को मुंबई की लोकल ट्रेन में गाना गाकर पेट पालने वाले झोपड़ पट्टी के तीन बच्चों से गवाया गया है। इस गाने के बोल कंपनी के सीईओ निशीत शरण ने खुद ही लिखे हैं। निशीत के अनुसार ए आर रहमान के ऑस्कर पुरस्कार पाने वाले गाने जय हो की धुन पर कांग्रेस की कथित उपलब्धियों का बखान करने वाले टीवी विज्ञापन भारतीयों का घोर अपमान है। इस गाने में चारों ओर बेरोजगारी, भूख और आतंक को दिखाया गया है।
निशीत के अनुसार भय हो कांग्रेस के कार्यकाल की सच्चाई लोगों तक पहुंचाने में सफल हो रहा है। कांग्रेस के जय हो और भाजपा के भय हो चुनावी गाने वोट कितना जुटा पाते हैं यह तो चुनावी नतीजों के बाद मालूम होगा लेकिन ये दोनों चुनावी विज्ञापन आज कल लोगों की जुबान से सुनने को जरुर मिल जाते हैं।
मुंबई के लोकल में सफर करने वाले यात्रियों के अनुसार देश की गरीब को बेचकर जय हो ऑस्कर पा गया और अब भाजपा भय हो में भुखमरी दिखा कर भारतीय लोकसभा का ऑस्कर जीतना चाहती है।
