facebookmetapixel
Year Ender: युद्ध की आहट, ट्रंप टैरिफ, पड़ोसियों से तनाव और चीन-रूस संग संतुलन; भारत की कूटनीति की 2025 में हुई कठिन परीक्षाYear Ender 2025: टैरिफ, पूंजी निकासी और व्यापार घाटे के दबाव में 5% टूटा रुपया, एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बनाStock Market 2025: बाजार ने बढ़त के साथ 2025 को किया अलविदा, निफ्टी 10.5% उछला; सेंसेक्स ने भी रिकॉर्ड बनायानिर्यातकों के लिए सरकार की बड़ी पहल: बाजार पहुंच बढ़ाने को ₹4,531 करोड़ की नई योजना शुरूVodafone Idea को कैबिनेट से मिली बड़ी राहत: ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर लगी रोकYear Ender: SIP और खुदरा निवेशकों की ताकत से MF इंडस्ट्री ने 2025 में जोड़े रिकॉर्ड ₹14 लाख करोड़मुंबई में 14 साल में सबसे अधिक संपत्ति रजिस्ट्रेशन, 2025 में 1.5 लाख से ज्यादा यूनिट्स दर्जसर्वे का खुलासा: डर के कारण अमेरिका में 27% प्रवासी, ग्रीन कार्ड धारक भी यात्रा से दूरBank Holiday: 31 दिसंबर और 1 जनवरी को जानें कहां-कहां बंद रहेंगे बैंक; चेक करें हॉलिडे लिस्टStock Market Holiday New Year 2026: निवेशकों के लिए जरूरी खबर, क्या 1 जनवरी को NSE और BSE बंद रहेंगे? जानें

बाढ़ में सब साथ, फिर भी देरी

Last Updated- December 07, 2022 | 8:00 PM IST

बाढ़ की विनाशलीला को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को 1.25 लाख टन की सहायता देने की पेशकश कर दी थी, ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके।


लेकिन अभी तक मात्र 550 टन अनाज ही उठ पाया है। केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वे अनाज की ज्यादा से ज्यादा मात्रा उठाए। उन्होंने कहा कि इस बाबत भारतीय खाद्य निगम की विशेष कंट्रोल शाखा भी बनाई गई है, ताकि अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

इधर बिहार सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनाज उठाने की प्रक्रिया चल रही है। जिस हिसाब से मांग हो रही है, उसी हिसाब से इसका वितरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात को लेकर खुद काफी सजग है कि इन अनाजों को बाढ़ पीड़ितों तक यथाशीघ्र पहुंचाया जाए।

इस पूरे प्रकरण में विलंब का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना है। बाढ़ की विनाशकारी स्थिति से निपटने के लिए सारे दलों में एकजुटता दिख रही है। इसके अलावा कई दलों ने अपने प्रयासों से राहत शिविर भी लगाए हैं।

वैसे राहत कार्य को लेकर थोड़ी सियासी बयानबाजी तो चल ही रही है, लेकिन आपदा के इस मौके पर सभी दलों, आम लोगों और गैर-सरकारी संस्थाओं की एकजुटता काबिले तारीफ है। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि ऐसी आपदा की स्थिति में सबका एकजुट होना अच्छी बात है। लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि राहत कार्य पहुंचाने की तत्परता के बावजूद मौसमी गड़बड़ियों और अन्य कारकों की वजह से थोड़ा विलंब हो रहा है।

First Published - September 5, 2008 | 9:59 PM IST

संबंधित पोस्ट