छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कपंनी नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के साथ सीपत मुद्दे पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए एक पाइपलाइन बिछाने का प्रस्ताव दिया है।
इससे पहले राज्य सरकार ने एनटीपीसी के 2980 मेगावाट क्षमता वाले सीपत संयंत्र को पानी की आपूर्ति रोक दी थी।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि ‘यदि एनटीपीसी महानदी से अपने संयंत्र तक 50 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने के लिए तैयार हो जाए तो राज्य सरकार सीपत संयंत्र को तत्काल पानी की आपूर्ति शुरू करने पर विचार कर सकती है।’
पाइपलाइन बिछाने का सुझाव देने के अलावा रमन सिंह ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने और एनटीपीसी के अधिकारियों को पानी हासिल करने के लिए पाइपलाइन बिछाने का निर्देश देने के लिए कहा है।
सीपत संयंत्र महानदी से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में संयंत्र से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कंपनी ने परियोजना से प्रभावित हुए 3,106 परिवारों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कुछ नहीं किया है। इनमें से 691 परिवार ऐसे हैं जिन्हें एक एकड़ से अधिक जमीन खोनी पड़ी है।
छत्तीसगढ़ ने बीते दिनों सीपत संयंत्र को यह कहते हुए पानी की आपूर्ति रोक दी थी कि एनटीपीसी के साथ पानी मुहैया करने के लिए उसका कोई समझौता नहीं हुआ था। छत्तीसगढ़ ने एनटीपीसी से राज्य के लिए घटी दरों पर बिजली और विस्थापित हुए लोगों के लिए रोजगार की मांग की है। राज्य के जल संसाधन मंत्री हेमचंद्र यादव ने हाल में कहा था कि सरकार एनटीपीसी को आपसी समझ के तहत पानी की आपूर्ति कर रही थी न कि किसी समझौते के तहत मजबूर होकर।
इसके बाद एनटीपीसी ने 500 मेगावाट क्षमता वाली इकाई का परीक्षण रोक दिया था। इस इकाई की शुरुआत इस महीने की जानी थी। सीपत परियोजना की कुल लागत 12,000 करोड़ रुपये है और इसमें 660 मेगावाट की तीन इकाइयां हैं। इसके अलावा संयंत्र में 500 मेगावाट की दो इकाइयों की स्थापना भी की जानी है। एनटीपीसी ने बीते साल नवंबर में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई थी और 500 मेगावाट की दूसरी इकाई को अप्रैल में चालू किया जाना था।
राज्य सरकार के पानी रोकने के फैसले से पूरी परियोजना खटाई में पड़ गई है। रमन सिंह ने पत्र में लिखा है कि एनटीपीसी हसदेव बैंगो सिंचाई नहर से जितने पानी की मांग कर रही है उससे 60,000 एकड़ जमीन की सिंचाई की जा सकती है।
उन्होंने कहा है कि यदि किसानों को सिंचाई की समुचित सुविधा नहीं मिली तो कृषि उत्पादन प्रभावित होगा और राज्य की खाद्य सुरक्षा पर खतरा पैदा हो जाएगा। पूरे विवाद पर एनटीपीसी का कहना है कि विभिन्न पक्षों के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते के कारण छत्तीसगढ़ को अतिरिक्त देना संभव नहीं है।