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सिंगुर ने बताया, नैनो से कोई बैर नहीं

Last Updated- December 11, 2022 | 12:07 AM IST

शहनवाज जहीर हक को नैनो की फैक्टरी की वजह से अपनी जमीन खोनी पड़ी थी, फिर भी टाटा मोटर्स की इस लखटकिया कार की जब बुकिंग खुली तो उन्होंने 9 अप्रैल को सिंगुर में इस कार की बुकिंग कराई।
और हक एकमात्र सिंगुर निवासी नहीं हैं जिन्होंने ऐसा किया है बल्कि, बड़ी संख्या में यहां के लोगों ने इलाके के विभिन्न बैंक शाखाओं में जाकर नैनो की बुकिंग कराई है। यानी सिंगुर में नैनो परियोजना को लेकर चाहे जितना भी बवाल मचा हो पर कोलकाता में राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से 40 किमी की दूरी पर इस छोटे से इलाके में जमीन खोने वालों को नैनो से कोई कड़वाहट नहीं है।
यहां तक कि शहरी इलाके और राजमार्ग के बीच बेजेमेलिया में किसान तबका भी सिंगुर से खफा नहीं है। नैनो परियोजना के लिए सिंगुर में यह संयंत्र 1000 एकड़ जमीन पर किया गया है जिसका अधिग्रहण राज्य सरकार ने 2006 में किया था।
भले ही भारतीय स्टेट बैंक ने चुप्पी साध रखी हो कि बैंक की विभिन्न शाखाओं में कितने लोगों ने कार की बुकिंग कराई है, सूत्रों के मुताबिक सिंगुर से करीब 50 लोगों ने नैनो की बुकिंग कराई है। श्रीरामपुर शहर में एसबीआई शाखा की तुलना में सिंगुर शाखा में लोग ज्यादा उत्साहित नजर आए। छोटे कारोबार से जुड़े राघव दत्ता ने बताया कि उन्होंने नैनो की बुकिंग कराई है क्योंकि एक तो यह कार सस्ती है, साथ ही दिखने में भी अच्छी है।
सिंगुर में जिन किसानों ने अपनी मर्जी से जमीन नहीं सौंपी थी और जो तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी के साथ मिलकर नैनो की फैक्टरी का विरोध कर रहे थे, उनमें से कुछ का अब भी मानना है कि अगर राज्य सरकार अपना अड़ियल रवैया छोड़ देती तो यहां से परियोजना को दूसरी जगह ले जाने की जरूरत नहीं होती।
नैनो की बुकिंग फॉर्म जमा कराने आए सुजान नास्कर मानते हैं कि अगर राज्य सरकार जमीन लौटाने और मुआवजे को लेकर थोड़ी  नरमी बरतती तो शायद नैनो सिंगुर में ही रहती। याद रहे कि बनर्जी और किसानों के विरोध के कारण ही टाटा मोटर्स को अक्टूबर 2008 में सिंगुर छोड़ना पड़ा था।
सिंगुर में मोटरसाइकिल और विद्युत उपकरणों का बड़ा स्थानीय बाजार है और विभिन्न किस्म की फसलों की पैदावार के कारण यह कृषि बाजार का भी गढ़ माना जाता है। साथ ही यहां एक छोटा रेलवे स्टेशन भी है जो इसे कोलकाता से जोड़ता है, जहां हर दिन हजारों स्थानीय मजदूर काम करने जाते हैं।
राज्य के इन कृषि इलाकों से नैनो की बुकिंग की उम्मीद तो थी, पर सिंगुर के लोग भी नैनो की बुकिंग को लेकर इतने उत्साहित होंगे, इसका अंदाजा शायद कम ही लोगों को रहा होगा। हालांकि एसबीआई के एक सूत्र ने बताया, ‘मुझे इस बात से कोई हैरानी नहीं है कि सिंगुर में इतनी अधिक संख्या में लोगों ने नैनो की बुकिंग कराई है। जिन लोगों ने फैक्टरी के लिए अपनी जमीनें दी हैं उन्हें 3 से 4 लाख रुपये तक का मुआवजा मिला है। साथ ही इनमें से कई तो ऐसे हैं कोलकाता में कोई दूसरा काम कर रहे हैं।’

First Published - April 13, 2009 | 1:18 PM IST

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