मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपकरणों के बाजार में जबरदस्त तेजी आएगी।
जांच और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कोई भी उपकरण चाहे वह बायोमीट्रिक हो या फिर वीडियो या फिर सेंसर, सभी की मांग में तेजी आई है।
जबकि अगले तीन से पांच सालों में बैकग्राउंड स्क्रीनिंग, डेटा अनालिटिक्स, बायोमीट्रिक्स, डिजिटल वीडियो और सेंसर लगे जांच उपकरणों पर सबसे अधिक खर्च किए जाने की संभावना है।
फिलहाल सुरक्षा उपकरणों का बाजार सालाना 30 फीसदी की दर से बढ़ रही है। यह कारोबार करीब 1,800 करोड़ रुपये का है और कंपनियां इसमें विकास की संभावनाएं देखते हुए इसका लाभ उठा सकती हैं।
हनीवेल में दक्षिण एशिया क्षेत्र के सुरक्षा विभाग के निदेशक दीपक ठाकुर बताते हैं, ‘कारोबारी संस्थाएं और सरकारी एजेंसियां अब अधिक मुस्तैदी के साथ सुरक्षा व्यवस्था बहाल करना चाहेंगी। ऐसे में सुरक्षा का बाजार पैर पसारेगा यह तय है।
अब लोगों के लिए सुरक्षा इंतजामात का मतलब केवल क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) ही नहीं रह जाएगा। अब वे सुरक्षा के लिए इससे भी बढ़कर कुछ सोचेंगी।’ उनका मानना है कि सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए अब नई पीढ़ी के उपकरण जैसे वीडियो एनालिटिक्स की जरूरत होगी।
यह उपकण न केवल निगरानी रखता है बल्कि, लोगों के हाव भाव का विश्लेषण करता है और उनका वर्गीकरण करता है।
आईएमएस रिसर्च की एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि अगले पांच वर्षों में वीडियो एनालिटिक्स बाजार बढ़कर 83.92 करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगा जो 2004 में 6.77 करोड़ डॉलर का था।