वैश्विक मंदी ने पंजाब की अर्थव्यवस्था में भी सेंधमारी शुरू कर दी है और इस बार जरिया बने हैं प्रवासी भारतीय।
दरअसल, राज्य की अर्थव्यवस्था में प्रवासी भारतीयों की ओर से भेजी गई राशि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। काफी संख्या में पंजाबी ब्रिटेन, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बसते हैं और अपनी आय का एक अच्छा खासा हिस्सा पंजाब वापस भेजते हैं।
पंजाब में विदेशों से सालाना करीब 15 अरब डॉलर आते हैं और इस पैसे का दोआब क्षेत्र में रहने वाले लोगों के रहन सहन पर असर साफ देखा जा सकता है। पर जब से वैश्विक मंदी और छंटनी का दौर शुरू हुआ है तब से पूरे देश में विदेशों से आने वाले पैसे में कमी आई है और पंजाब भी इससे अछूता नहीं रहा है।
मार्च में फिर भी राहत
दक्षिण एशिया में वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के सबसे बड़े एजेंट पॉल मर्चेंट्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस पॉल ने बताया, ‘पंजाब में आने वाली विदेशी रकम 10 से 15 फीसदी तक घटी है।’
उन्होंने कहा कि मार्च में फिर भी थोड़ा बहुत सुधार देखने को मिला है क्योंकि दिसंबर और जनवरी के महीने में प्रवासी भारत आते हैं और फरवरी में वापस लौट जाते हैं। उन्होंने साथ ही बताया कि विदेशों में जिस स्तर पर छंटनियां जारी हैं, अगर आगे भी हालात ऐसे ही बने रहते हैं तो राज्य में आने वाला विदेशी धन और कम हो सकता है।
जहां तक राज्य से विदेशों में जाने वाले पैसे की बात है तो पॉल ने बताया कि इसका एक बड़ा हिस्सा उन छात्रों के जरिए जाता है जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मौजूदा माहौल में केवल राज्य में आने वाला विदेशी धन ही घटा है बल्कि, यहां से बाहर जाने वाले पैसे में भी 15 से 20 फीसदी की कमी आई है।
ऑस्ट्रेलिया पहली पसंद
थॉमस कुक के सूत्रों के मुताबिक पंजाब के करीब 75 फीसदी से अधिक छात्र ऑस्ट्रेलिया जाकर पढ़ाई करना पसंद करते हैं क्योंकि एक तो वहां रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं और दूसरी वहां आवासीय शर्तें भी बहुत कठोर नहीं हैं।
पर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया ने भारत के उन छात्रों को चौथी श्रेणी में रख दिया है जो वीजा की आस लगाए हैं। पर पंजाब के छात्रों को इससे कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि उनके लिए न्यूजीलैंड दूसरा विकल्प बन कर सामने आया है।
फॉरेक्स ट्रेड पर मार
साथ ही राज्य में कंपनियां लागत को कम करने के लिए जो उपाय कर रही हैं उससे क्षेत्र में विदेशी कारोबार 20 से 25 फीसदी घटा है। विदेशी कारोबारियों ने मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए अपने मुनाफे या नुकसान का आकलन तो फिलहाल नहीं किया है, पर ऐसा माना जा रहा है कि उनके कारोबार पर इसका निश्चित असर पड़ेगा।
नौकरी पर लटकी तलवार को देखते हुए इस साल अपेक्षाकृत कम प्रवासियों ने पंजाब में अपने पैतृक स्थान का दौरा किया है। विदेशों से पंजाब भी इस साल कम पैसा आने का यह भी एक बड़ा कारण रहा है।
पॉल ने बताया, ‘पिछले वित्त वर्ष में हमनें 90 फीसदी का विकास दर्ज किया था पर इस दफा हमें ऐसी कोई उम्मीद नहीं है। अक्टूबर के बाद से ही हमारा कारोबार घटना शुरू हो गया था ऐसे में बहुत अच्छे परिणाम की उम्मीद करना बेमानी है।’
बैंक नहीं प्राथमिकता
पंजाब से विदेश में जाकर काम करने वाले अधिकांश पेशेवर ऐसे पेशों को अपनाते हैं जिनके लिए पूर्ण दक्षता की जरूरत नहीं होती है। इस वजह से वे बैंकों के बजाय फॉरेक्स डीलरों के जरिए अपने पैसे देश में भेजना पसंद करते हैं। इस तरह वह कम समय में अपने परिवार वालों को पैसे भेज सकते हैं।