उत्तर प्रदेश के खस्ताहाल सरकारी बस स्टेशनों के दिन बहुरने वाले हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों के 17 बस स्टेशनों को शापिंग माल, होटल सहित आधुनिक साज सज्जा के साथ विकसित किया जाएगा। बस अड्डों पर सभी तरह की यात्री सुविधाओं के साथ ही खरीदारी करने के लिए दुकानें, होटल, बैंक एटीएम, टैक्सी काउंटर व रेस्टोरेंट बनाए जाएंगे।
प्रदेश के बड़े शहरों के इन 17 चुने गए स्टेशनों का कायाकल्प करने के लिए निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) का मॉडल अपनाया जाएगा। पीपीपी के तहत बस स्टेशनों का निर्माण करने वाले निवेशकों को सरकार कई तरह की सहूलियतें देगी। इस योजना के तहत राजधानी लखनऊ के तीन सरकारी बस स्टेशनों का कायकल्प होगा। प्रदेश के कानपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज के सिविल लाइंस और जीरो रोड के साथ वाराणसी, बरेली, मेरठ, आगरा ईदगाह, फोर्ट व ट्रांसपोर्ट नगर, अयोध्या, गोरखपुर, मथुरा व रायबरेली बस स्टेशनों को निजी क्षेत्र की मदद से विकसित किया जाएगा। राजधानी के चारबाग, अमौसी और गोमतीनगर बस स्टेशनों को भी शामिल किया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) के अधिकारियों के मुताबिक पीपीपी माडल पर प्रदेश के 17 बस स्टेशनों का निर्माण करने के लिए निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। हालांकि पहले 23 बस स्टेशनों को विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था पर बाद में वाणिज्यिक रुप से कमजोर छह स्टेशनों को इस सूची से हटा दिया गया। बस स्टेशनों को आधुनिक रूप देने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों को परिवहन निगम कई तरह की छूट देगा। पूर्व में निगम के राजधानी स्थित आलमबाग बस स्टेशन का निर्माण पीपीपी मॉडल के तहत किया जा चुका है। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले इन बस स्टेशनों के संचालन के लिए निजी कंपनी के साथ 90 सालों के लिए करार किया जाएगा।