निर्यातोन्मुखी इकाइयां (ईओयू) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की कामयाबी का ताना-बाना अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बुना गया है।
पश्चिम बंगाल के सिंगुर और नंदीग्राम में सेज को लेकर उठे विवाद को दरकिनार करते हुए इसे निर्यात विकास के लिए अपरिहार्य बताया जा रहा है। हालांकि कई ऐसे राज्य हैं, जहां भूमि अधिग्रहण और किसानों की समस्या को लेकर सेज पर अभी भी सवालिया निशान लगा हुआ है।
कई राज्य सरकारें इस पचड़े में पड़ने से बचने की कोशिश कर रही है, तो कहीं कंपनियां रुचि नहीं दिखा रही है। व्यापार मेले में ईओयू और सेज के लिए निर्यात संवर्द्धन परिषद के साथ-साथ सूरत विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसयूआर सेज), सूरत; श्री सिटी विशेष आर्थिक क्षेत्र, चेन्नई; स्टर्लिंग विशेष आर्थिक क्षेत्र, जम्बूसार, गुजरात; महिन्द्रा वर्ल्ड सिटी, चेन्नई और जयपुर; हैदराबाद जेम्स सेज ने भी शिरकत की है।
निर्यात का टॉनिक
ईओयू और सेज के जरिये वर्ष 2007-08 में 2,08,849 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। इनमें ईओयू के जरिये 1,42,211 करोड़ रुपये और सेज के जरिये 66,638 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।
ईपीसीईएस के महानिदेशक एल. बी. सिंघल ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ईओयू और सेज देश के निर्यात परिदृश्य को चलाने का एक महत्त्वपूर्ण जरिया है। ये दोनों ऐ दूसरे के पूरक हैं। इन योजनाओं से रोजगार सृजन, निर्यात, निवेश और बुनियादी विकास को काफी बढ़ावा मिला है।’
पिछले दो सालों में सेज के जरिये 73,348 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आकर्षित किया गया है। सेज से इसी समान अवधि में 2 लाख से ज्यादा रोजगार का भी सृजन किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर 2009 तक सेज में 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश और 8 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
डेवलपर की जुबानी
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में शिरकत करने वाली स्टर्लिंग सेज (जम्बूसार, गुजरात) के उप महा प्रबंधक (विपणन) धवल जे. सेठ ने कहा, ‘गुजरात में सेज के लिए हर तरह की सरकारी सुविधाएं दी जा रही है। हमने भी 3120 एकड़ में सेज विकसित किया है और यह जमीन कृषि योग्य नहीं है।
श्री सिटी सेज की उपाध्यक्ष (कारोबारी विकास) रागिनी पीटर ने कहा, ‘हमारे सेज परिसर में वाहन के कल-पुर्जे, इंजीनियरिंग, एयरोस्पेस, एपेरेल, अक्षय ऊर्जा, बायोटेक और फार्मा जैसे उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।’
पंजाब: न आमदनी हुई, न ही मिले वितरक
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की थीम ‘बुनियादी ढांचा विकास और महिला सशक्तीकरण’ को पंजाब पैवेलियन पर आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया गया है।
पंजाब पैवेलियन के मैनेजर ए के छाबड़ा ने बताया, ‘ आईटीपीओ हर साल व्यापार मेले के लिए एक थीम का चयन करता है और उसी पर हर राज्य को अपनी प्रदर्शनी लगानी होती है। मेले के जरिये हम सरकार की उद्योग नीतियों को प्रदर्शित करते हैं। यहां पर आने वाले उद्यमियों और निर्यातकों को भी ज्यादा से ज्यादा आमदनी और वितरक की तलाश रहती है।’
उन्होंने कहा कि ग्राहकों और आमदनी के आंकड़े तो मेले के खत्म होने के बाद ही दिए जा सकते हैं, लेकिन शुरूआती रुझानों को देखकर इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस बार पैवेलियन में आने वाले लोगों की संख्या कम है।
मोटे तौर पर पैवेलियन में खरीदारी भी पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी कम है। मंदी का असर यहां भी दिख रहा है।