उत्तराखंड में 6000 मेगावाट की क्षमता वाली पंचेश्वर बहुद्देशीय पनबिजली परियोजना को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ काफी गंभीर हैं।
नई दिल्ली प्रवास के बाद अब प्रचंड एक दिन के लिए उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं। वह यहां 2400 मेगावाट क्षमता वाली देश की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना टिहरी बांध के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेंगे।
यह संभावना जताई जा रही है कि इसके बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी और अन्य नेताओं के साथ देहरादून में पंचेश्वर बांध के बारे में चर्चा करेंगे। पंचेश्वर बांध का निर्माण उत्तराखंड-नेपाल सीमा पर महाकाली नदी पर किया जाना है।
भारत और नेपाल ने संयुक्त रूप से इस बांध का प्रस्ताव रखा है जिस पर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के प्रधानमंत्री मुख्य रूप से यहां टिहरी बांध से जुड़े पुनर्वास मुद्दों का गहन अध्ययन करना चाहते हैं ताकि पंचेश्वर बांध के लिए भी इसी तरह की समस्याएं पैदा न हों।
पिछले एक दशक से माओवादी आंदोलनों की वजह से अधर में लटक रही पंचेश्वर परियोजना के मद्देनजर उत्तराखंड में प्रचंड का दौरा एक बड़ा कदम माना जा रहा है। काठमांडू में माओवादी सरकार बनने के बाद बांध के निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच इससे पहले भी काफी गंभीर चर्चाएं हुईं हैं और इस बांध के निर्माण को लेकर पंचेश्वर विकास प्राधिकरण की स्थापना का फैसला किया गया है। उत्तराखंड के बिजली सचिव शत्रुघ्न सिंह इस प्राधिकरण के सदस्य चुने गए हैं।
हालांकि अभी तक खंडूड़ी राज्य में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ रहे थे। उन्होंने भी यूटर्न लेते हुए बड़े बांधों के निर्माण पर अपनी तत्परता व्यक्त की है।
बांध के निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच पहले ही दो दौर वार्ता आयोजित की जा चुकी है। यह आशंका जताई जा रही है कि इस बांध के बनने के बाद भारत की ओर से करीब 20,000 लोग बेघर हो जाएंगे। हालांकि यहां के स्थानीय गैर सरकारी संस्थानों ने सरकार के इस आंकड़े का विरोध करते हुए कहा है कि इस बांध के बनने से पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होगी।
बहरहाल, इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली को लेकर सौदेबाजी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सिंह ने बताया, ‘हमलोग इस बांध से अधिक से अधिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।’ सिंह काठमांडू और नई दिल्ली में आयोजित की गए दो वार्ताओं में शामिल हुए हैं। सिंह ने बताया, ‘जहां तक बिजली का सवाल है तो पंचेश्वर बांध से हमारे राज्य को काफी फायदा होगा।’