पॉलिथीन बैग के निर्माण और उसके इस्तेमाल के मामले में दिल्ली सरकार के फैसले से उत्पादकों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
प्लास्टिक सामान के उत्पादकों का कहना है कि दिल्ली सरकार के फैसले में नया कुछ नहीं है। 20 गुना 30 सेंटीमीटर से छोटे आकार के पॉलिथीन बैग के उत्पादन पर पहले से ही प्रतिबंध था। सिर्फ 40 माइक्रॉन की मोटाई के मामले में उत्पादकों पर थोड़ा बहुत फर्क पड़ने की उम्मीद है।
क्योंकि फल और सब्जी विक्रेताओं के पास 20-25 माइक्रॉन की मोटाई वाले पॉलिथीन बैग ही पाए जाते हैं। कैबिनेट के इस फैसले को कानून का रूप देने के लिए दिल्ली सरकार बुधवार से शुरू हो रहे अपने विधानसभा सत्र में इसे पटल पर रखेगी। कैबिनेट ने उच्च न्यायालय के निर्देश के मुताबिक यह फैसला किया है।
नए फैसले के मुताबिक 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले किसी भी प्रकार के पॉलिथीन बैग के उत्पादन से लेकर उसके इस्तेमाल व उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गयी है। सरकार के इस फैसले पर ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का मानना है कि इससे 20-25 माइक्रॉन मोटाई वाले पॉलिथीन बैग के उत्पादकों के कारोबार पर बहुत ही सीमित मात्रा में फर्क पड़ेगा।
एसोसिएशन के संरक्षक आरएन गुप्ता कहते हैं, ‘कम मोटाई के बैग बनाने वाली मशीन से 40 माइक्रॉन से अधिक मोटाई वाले बैग को भी आसानी से बनाया जा सकता है। इसलिए उत्पादक इससे प्रभावित नहीं होंगे। बैग की मांग भी कम नहीं होगी क्योंकि जो फल विक्रेता कम मोटाई वाले बैग का इस्तेमाल करते थे वे अब अधिक मोटाई वाले पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल करेंगे। इसके बदले वे ग्राहक से जरूर अधिक चार्ज करेंगे।’
एसोसिएशन के सह सचिव पुरुषोत्तम कुमार कहते हैं, ‘पेपर बैग में तो कोई प्याज खरीदेगा नहीं। लोग पॉलि बैग के अभ्यस्त हो चुके है। सख्ती होने पर लोग मोटे पॉलि बैग का ही इस्तेमाल करने लगेंगे।’