उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के चलते पंचायत चुनाव छह महीने के लिए टाले जाएंगे। प्रदेश की करीब 60,000 ग्राम पंचायतों में चुनाव इसी साल अक्टूबर में होने थे। अब इन चुनावों को अगले साल संपन्न कराया जाएगा और तब तक के लिए पंचायतों में प्रशासक बैठाए जा सकते हैं।
कोरोना महामारी की वजह से तैयारियां नहीं होने के कारण सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टालने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस पर जल्द ही अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। इसके बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव अब 2021 में ही होंगे। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक पंचायत चुनाव टाले जाने और प्रशासक तैनाती के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। हालांकि इस बीच प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि सहकारी समितियों में सीमित मतदाता होते हैं और वहां प्रतिबंधों के साथ चुनाव कराना संभव है। इसीलिए सहकारी चुनाव पूरे किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 58,758 ग्राम पंचायत, 821 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत हैं। इनके चुनाव इसी साल के आखिर तक होने थे। चुनाव की तैयारियों के लिए मतदाता सूची तैयार करने, पुनरीक्षण, आरक्षण निर्धारण वगैरह के लिए कम से कम छह महीनों का समय चाहिए। इससे पहले 2015 में क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य के चुनाव चार चरणों में 9 से 29 अक्टूबर के बीच हुए थे। इसके लिए 21 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई थी।
स्थानीय निकाय चुनाव निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बार चुनाव के लिए अब तक कोई भी तैयारी नहीं हो सकी है। चुनाव आयोग सिर्फ ऑनलाइन नए मतदाता बनाने का काम कर रहा है। जबकि साल 2015 में पंचायत चुनाव के लिए फरवरी-मार्च से ही तैयारी शुरू हो गई थी।
अधिकारियों का कहना है कि मार्च से पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू नहीं हो पाईं हैं। मार्च के आखिरी सप्ताह से दो महीनों के लिए लॉकडाउन लग जाने के बाद लगभग सभी कामकाज ठप रहे। जून में अनलॉक शुरु होने के बाद से ज्यादातर सरकारी विभाग कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जुटे हैं जिसमें पंचायती राज विभाग भी शामिल है। इन सबके कारण न तो वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हो पाया है और न ही पंचायतों के परिसीमन का काम शुरू हो पाया है। ऐसे में वक्त पर चुनाव हो पाना संभव नहीं है।